कहानी

कलाकार

अख़बार खोला तो पहले ही पेज पर छपे एक विज्ञापन पर नज़र पड़ी। “फिरकी डांस ग्रुप” का विज्ञापन था। शहर में महीने भर से चल रही प्रदर्शनी में दो दिन बाद इनका शो होने वाला था। “फिरकी” शब्द पढ़कर दिमाग में कुछ चलने लगा। कुछ तो ऐसा था जो इस शब्द से जुड़ा था लेकिन याद नहीं आ रहा था। अख़बार के पन्ने पलटते हुए भी दिमाग “फिरकी” में ही उलझा रहा। अख़बार बंद करके थोड़ी देर ठंडे दिमाग से सोचा लेकिन कुछ याद नहीं आ रहा था। अख़बार में इस डांस ग्रुप का नंबर भी दिया हुआ था। मन नहीं माना तो दोपहर में फ़ोन मिला ही दिया। “बोलिए मैडम हम आपके लिए क्या कर सकते हैं?” एक औपचारिक आवाज़ सुनकर फोन रखने का मन हुआ लेकिन पता तो लगाना ही था इसलिए बातचीत जारी रखी। ,” आपके शो के दो टिकट बुक करने हैं। मैंने आज़ ही पेपर में पढ़ा आपके शो के बारे में।” उधर से फिर एक औपचारिक जवाब मिला ,” आप अपना नाम लिखा दीजिए मैडम, जब आएं तो पेमेंट करके टिकट ले लेना। शो से थोड़ा पहले ही आ जाना।” मैंने खुशी खुशी हां कहकर फ़ोन काट दिया।
जतिन को शो वाले दिन शहर से बाहर जाना पड़ गया इसलिए शो देखने मैं अकेली ही गई।शो देखने पर “फिरकी” को पहचानना बहुत ही आसान हो गया। घर लौटकर आई तो कई साल पुरानी एक घटना आंखों के सामने घूमने लगी। जतिन भी नहीं थे इसलिए मन ही मन ठान लिया कि फिरकी से मुलाकात करके ही वापिस जाऊंगी। ,”मैडम ये लड़की मेरे जी का जंजाल बन गई है। इसके मां बाप तो छुटकारा पा गए। मैं भलाई के चक्कर में इसके चंगुल में फंस गई हूं।” नारायणी बाई एक दिन काम करने आई तो बारह तेरह साल की एक लड़की को साथ लेकर आई। उसी के बारे में बोल रही थी। ,” पर बात क्या हुई है ? कौन है ये बच्ची ? तुम्हारी बेटी की तो शादी हो गई थी ना।” मैंने याद करते हुए कहा, पिछले महीने ही उसने छुट्टियां ली थी और अगले महीने का एडवांस भी ले लिया था शादी के नाम पर। ” अपनी तो ब्याह दी। ये देवर की बेटी है। इसकी मां छोड़कर चली गई है इसके बाप को। बाप के सारे रिश्ते नाते शराब से ही हैं। मैंने अपने पास रख लिया यही सोचकर कि साथ में काम करने ले जाऊंगी तो इसकी गुजर हो जायेगी।” मेरी समझ में बात थोड़ी थोड़ी आ रही थी। ” हां तो सही किया तुमने। तुम्हे भी सहारा रहेगा।” मेरे बोलते ही नारायणी जैसे भड़क उठी। ” वही तो गलती कर दी मैंने। अब महारानी कहती है, बर्तन नहीं धोऊंगी। डांस सिखा दो फिर अपनी डांस क्लास खोलूंगी।” नारायणी की आंखों में आसूं आ गए। भरे गले से उसने अपनी बात आगे बढ़ाई,”गुजर बसर इतनी मुश्किल से होती है, इसे डांस सीखने की फीस कहां से लाऊं ? मेरे से भी लंबी हो गई है पर समझ रत्ती भर भी नहीं आई है इसे।”
उस दिन नारायणी की बात सुनकर मेरा दिल भर आया। चुपचाप अपने घर के पास चल रही एक डांस क्लास में उसके लिए बात कर आई। डांस क्लास मेरी एक सहेली की ही थी। उसने रजिस्ट्रेशन के पैसे लिए और बिना फीस के ही उसको डांस सीखने की अनुमति दे दी। समस्या यहीं खत्म नहीं हुई। उसके साथ कोई भी लड़की डांस सीखने को तैयार नहीं थी। अभिभावकों का कहना था कि एक काम वाली की बेटी के साथ एक ही क्लास में उनके बच्चियां डांस कैसे सीख सकती हैं? उनका स्तर गिर जाएगा।
” मैडम, आप मुझे सिखा दो। आपको एक घंटे में जो काम करना हो, मैं कर दूंगी। जो कहोगे कर दूंगी बस इतना सीखा दो कि आपके जैसे क्लास खोल लूं।” फिरकी नाम रख दिया मेरी सहेली ने उसका। इतनी फुर्ती से पूरा काम करती और डांस तो कमाल का करती ही थी।
खयालों में खोए खोए पता ही नहीं चला कि कब शो ख़त्म हो गया।” मैडम आप दूसरा शो भी देखेंगे?” सामने खड़े एक लड़के ने मुझसे सवाल किया। “नहीं, मुझे तुम्हारी मैडम से मिलना है, इसलिए रुकी हुई हूं।” उसने मुझे साथ में चलने का इशारा किया।
सामने बैठी युवती को देखकर एक बार तो मन में यही आया कि मैं बेकार में ही फिरकी शब्द को पढ़कर अपने अतीत की घटना से उसे जोड़ बैठी लेकिन उसने जब अभिवादन में हाथ जोड़े तो आश्वस्त हो गई। ,”हैरान मत होइए आंटी मैं आपकी फिरकी ही हूं। आप ट्रांसफर होकर चले गए थे लेकिन आपकी सहेली उन आंटी ने मुझे पूरा डांस सिखाया। अब उसकी कई शाखाएं हमने मिलकर खोली हैं। हर शाखा में एक बेच उन लड़कियों का ही है जो सीखना तो चाहती हैं पर फीस नहीं दे सकती हैं। उस बेच में मैं खुद ही सिखाती हूं।” मुझे उसकी बात सुनकर बहुत सुकून महसूस हुआ इसलिए चुप होकर सुनती रही। ,” यह हुनर आपकी बदौलत मुझे मिला है। हमेशा आपकी ऋणी रहूंगी।” अब मुझे बोलना ही पड़ा। ,” मेरी नहीं, नारायणी की बदौलत। वह तुम्हे सहारा नहीं देती तो तुम मेरे घर नहीं आती उस दिन।” उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। ,” ताई मेरे नृत्य केंद्र की इंचार्ज है। बाद में मां और पापा भी आए थे लेकिन उनकी जेबखर्ची देने के सिवा मैं उनसे कोई मतलब नहीं रखतीं। ताई के ही साथ रहती हूं अब भी।” खुशी के मारे मेरे मुंह से निकल गया। ” फिरकी, जैसी बेटी सबके घर में पैदा हो। अब हम इसी शहर में हैं। संभव हो तो नारायणी से मिलवाना।” उसकी आंखों में नमी थी और चेहरे पर भरपूर आत्मविश्वास। ,” कल शो नहीं रखा है। मैं ताई के साथ आपसे मिलने आऊंगी।”
नरेंद्र बाहर खड़े होकर गाड़ी का हॉर्न बजा रहे थे। मैं वापिस आ गई एक ऐसा अहसास साथ लेकर जो आगे भी किसी की मदद करते रहने की प्रेरणा दे रहा था।
— अर्चना त्यागी

अर्चना त्यागी

जन्म स्थान - मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश वर्तमान पता- 51, सरदार क्लब स्कीम, चंद्रा इंपीरियल के पीछे, जोधपुर राजस्थान संपर्क - 9461286131 ई मेल- tyagiarchana31@gmail.com पिता का नाम - श्री विद्यानंद विद्यार्थी माता का नाम श्रीमति रामेश्वरी देवी। पति का नाम - श्री रजनीश कुमार शिक्षा - M.Sc. M.Ed. पुरस्कार - राजस्थान महिला रत्न, वूमेन ऑफ ऑनर अवॉर्ड, साहित्य गौरव, साहित्यश्री, बेस्ट टीचर, बेस्ट कॉर्डिनेटर, बेस्ट मंच संचालक एवम् अन्य साहित्यिक पुरस्कार । विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा, बाल प्रहरी संस्थान अल्मोड़ा द्वारा, अनुराधा प्रकाशन द्वारा, प्राची पब्लिकेशन द्वारा, नवीन कदम साहित्य द्वारा, श्रियम न्यूज़ नेटवर्क , मानस काव्य सुमन, हिंदी साहित्य संग्रह,साहित्य रेखा, मानस कविता समूह तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। प्रकाशित कृति - "सपने में आना मां " (शॉपिजन प्रकाशन) "अनवरत" लघु कथा संकलन (प्राची पब्लिकेशन), "काव्य अमृत", "कथा संचय" तथा "और मानवता जीत गई" (अनुराधा प्रकाशन) प्रकाशन - विभिन्न समाचार पत्रों जैसे अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक हरिभूमि,प्रभात खबर, राजस्थान पत्रिका,पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्यून, संगिनी मासिक पत्रिका,उत्तरांचल दीप पत्रिका, सेतू मासिक पत्रिका, ग्लोबल हेराल्ड, दैनिक नवज्योति , दैनिक लोकोत्तर, इंदौर समाचार,उत्तरांचल दीप पत्रिका, दैनिक निर्दलीय, टाबर टोली, साप्ताहिक अकोदिया सम्राट, दैनिक संपर्क क्रांति, दैनिक युग जागरण, दैनिक घटती घटना, दैनिक प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, निर्झर टाइम्स, दिन प्रतिदिन, सबूरी टाइम्स, दैनिक निर्दलीय, जय विजय पत्रिका, बच्चों का देश, साहित्य सुषमा, मानवी पत्रिका, जयदीप पत्रिका, नव किरण मासिक पत्रिका, प दैनिक दिशेरा,कोल फील्ड मिरर, दैनिक आज, दैनिक किरण दूत,, संडे रिपोर्टर, माही संदेश पत्रिका, संगम सवेरा, आदि पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। "दिल्ली प्रेस" की विभिन्न पत्रिकाओं के लिए भी लेखन जारी है। रुचियां - पठन पाठन, लेखन, एवम् सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य। संप्रति - रसायन विज्ञान व्याख्याता एवम् कैरियर परामर्शदाता।