शौर्य और पराक्रम के प्रकटीकरण का दिवस “शौर्य दिवस”
6 दिसंबर 1992 के पूर्व हिंदू समाज भारत में उपेक्षित होता था, 1947 में मजहब के आधार पर विभाजन के बाद भी भारतीय संस्कृति, भारतीय महापुरुषों को अपेक्षित स्थान नहीं मिल पाया, जो मिलना चाहिए था । गुलामी की इमारतों निशानियों को यथावत रखा गया, जबकि हर स्वतंत्र देश अपनी गुलामी या परतंत्रता के चिन्हों को समाप्त कर देता है, परंतु भारत में कई कारणों के रहते ऐसा संभव नहीं हो सका। उदाहरण हमें दिल्ली में आज भी बाबर रोड, हुमायूं रोड के रूप में मिल जाएंगे। जबकि बाबर या हुमायूं से भारत का कोई संबंध नहीं था। वे आक्रांता थे, आक्रमणकारी थे, लुटेरे थे, जिन्होंने भारत की अस्मिता, आस्था, संस्कृति का अपमान किया। परंतु उसके बाद भी उनके नाम पर भारत में सड़कों का नाम रखा गया। यह किसी कलंक से कम नहीं था, स्वतंत्रता के बाद भी हमने इस कलंक को धोने के लिए अपेक्षित प्रयत्न नहीं किए या यूं कहें समाज की मानसिकता में इन दुःस्वप्नों को बिठा दिया गया। दुर्भाग्य से गुलामी के इतिहास को आज भी पाठशाला व कॉलेज में पढ़ाया जाता है भारत के वीर महापुरुषों के इतिहास को उपेक्षित किया गया। ठीक उसी प्रकार भारत के करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या पर बने भव्य मंदिर को तोड़कर बनाए गए बाबरी ढांचे के संबंध में भी इसी तरह की मानसिकता रखी गई तथा इस विषय को हिंदू मुस्लिम विवाद बताकर यथावत रखने का षड्यंत्र किया गया। जबकि प्रभु श्री राम तो पूरी भारतीय संस्कृति के महापुरुष हुए उन्हें किसी विवाद से जोड़ना सही नहीं था वह पूरे भारतवर्ष के महापुरुष थे, इसलिए उनकी जन्मभूमि को स्वतंत्र रूप से सभी के सहयोग से जीर्णोद्धार किया जाना था। परंतु मजहबी कट्टरता और मुसलमानों की हठधर्मिता के कारण ऐसा संभव नहीं हुआ। जन्मभूमि मन्दिर को तोड़कर बनाये गए बाबरी ढांचे को बाबरी मस्जिद बताकर भारत में मुसलमानों को उग्र करके हिंदुओं के विरुद्ध भड़काया गया। इसका परिणाम हुआ कि कई क्षेत्रों में कई दशकों तक हिंसा हुई व हिंदू समाज प्रताड़ित हुआ। परंतु संतों के मार्गदर्शन में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में राम जन्मभूमि का आंदोलन अपनी धार लेता रहा, इस आंदोलन के अंतर्गत कई बार कारसेवा हुई जिसमें उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार ने कार सेवकों पर कई बार घातक प्रहार भी किए, जिनमें कई कारसेवकों का बलिदान भी हुआ। यह सब भी हम जानते हैं उन कारसेवकों में से दो कोठारी बंधु की स्मृति में आज भी हुतात्मा दिवस बजरंग दल पूरे देश में मनाता आ रहा है ताकि इस जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े सभी कार्य सेवकों के बलिदान को स्मरण किया जा सके पुनः एक बार ग्राम ग्राम जन जन में संपर्क करके विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के नेतृत्व में कारसेवा आरंभ हुई और गीता जयंती 6 दिसंबर 1992 का वह ऐतिहासिक दिन जब हिंदू समाज के युवाओं में हनुमत शक्ति के जागरण के बाद भारतीय संस्कृति पर लगे सबसे बड़े कलंक बाबरी ढांचे को ध्वस्त करके कार सेवकों ने कृत्रिम रूप से राम मंदिर का निर्माण कर दिया। यह कई दशकों में हिंदू समाज का सबसे ऐतिहासिक दिवस बना जिसे “शौर्य दिवस” के रूप में पूरा हिंदू समाज आज भी मनाता है। इस ऐतिहासिक शौर्य के प्रकटीकरण के बाद हिंदू समाज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा , देश में जब जब भी हिन्दू समाज पर आघात हुआ, सांप्रदायिक हिंसा में बार-बार मार खाने वाला हिंदू समाज 6 दिसंबर 1992 के बाद सामने आकर प्रतिउत्तर देना सीख गया था। उसके बाद हिंदू समाज ने कभी भी प्रताड़ित होना स्वीकार नहीं किया वरन अपनी प्रतिरक्षा में खड़े होकर हर विपत्ति हर चुनौती का डटकर सामना किया। यह परिवर्तन पूरे भारत के हिंदू समाज के लिए यही ऐतिहासिक दिवस शौर्य दिवस 6 दिसंबर 1992 लेकर आया था । इसके बाद भी राम जन्म भूमि का संघर्ष अनवरत जारी रहा और हिंदू समाज व संतो ने समन्वय संवाद के कई अवसर विपक्षी मुस्लिम समाज को दिए परंतु मुस्लिम हठधर्मिता के कारण राम जन्मभूमि विषय को विवादित बनाए रखने के लिए उन्होंने कोई संवाद नहीं किया। अंततः संविधान की मूल अवधारणा में विश्वास रखते हुए हिंदू समाज ने सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से संपूर्ण साक्ष्य प्रमाण प्रस्तुत करके राम जन्मभूमि पर अपना स्वामित्व सिद्ध किया। सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना कि राम जन्मभूमि क्षेत्र ही श्री राम की जन्मभूमि रही और यह निर्णय 492 वर्ष के एक बड़े संघर्ष का बहुत सुखद परिणाम के रूप में उत्साह व प्रसन्नता लेकर आया। पूरे हिंदू समाज ने इस निर्णय की ऐतिहासिक विजय को पूरे भारतवर्ष सहित पूरे विश्व में उत्साह से मनाया। इसके बाद राम जन्मभूमि निर्माण के लिए चले अभियान में पूरे हिंदू समाज ने बढ़ चढ़कर अर्थ सहयोग किया विश्व हिंदू परिषद 6 दिसंबर 1992 से ही राम मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने का काम कर रहा था, निर्णय के बाद आरंभ हुए इस अभियान के माध्यम से करोड़ों हिंदू समाज ने जो आर्थिक सहयोग किया उससे राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर का निर्माण अनवरत जारी है, जो कि सन 2025 में संपूर्ण होगा । राम जन्मभूमि पर बने इस भव्य मंदिर के निर्माण के साथ ही भारत के विश्व गुरु बनने के संकेत हमें दिखाई दे रहे हैं। जिस प्रकार से तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार के ऐतिहासिक निर्णय व नेतृत्व को विश्व देखकर भारत के प्रति विश्वास व समर्थन विश्व में बड़ा है आज भारत विश्व का नेतृत्व करने के लिए जी-20 देशों की अध्यक्षता कर रहा है एवं ऐसे कई ऐतिहासिक निर्णय व सम्मान आज भारत को ऐसे ही नहीं मिल रहे हैं विश्व के कई राजनैतिक मतभेदों को लेकर अन्य देशों की दृष्टि भारत के रुख के प्रति बनी रहती है अब वह दिन दूर नहीं जब भारत विश्व गुरु बनकर पूरे विश्व का नेतृत्व करेगा इसलिए भी इस दिवस 6 दिसंबर (शौर्य दिवस) का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।
— मंगलेश सोनी