कविता

गुलशन

आओ गुलशन की सैर करायें
बेला जुही चमेली से मिलवायें
ये है प्यारा गैंदा का पीला फूल
गुलाब राजा संग जुड़ा है शूल

आओ गुलशन की सैर करायें
अड़हूल हरसिंगार से मिलवायें
चमन का अपना है एक उसूल
हर किसी के लिये है ये फूल

आओ गुलशन से मिलवायें
महका महका चमन दिखायें
माधुकर कलियों में प्रेम अटुट
इन्तजार करती कलियॉ हजूर

आओ गुलशन की सैर करायें
खिली खिली कलियों से मिलवायें
मदमस्त छाई है नशा व सरूर
ये है इस गुलशन का  दस्तुर

आओ गुलशन की सैर करायें
रात रानी से मन को महकायें
गम पल में हो जाता है काफूर
छाया है गुलशन में ये सरूर

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088