दोहे “अगर न होती रोटियाँ, मिट जाता संसार”
रोटी का अस्तित्व है, जीवन में अनमोल।
दुनिया में सबसे अहम, रोटी का भूगोल।।
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जीवन जीने के लिए, रोटी है आधार।
अगर न होती रोटियाँ, मिट जाता संसार।।
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हो रोटी जब पेट में, भाते तब उपदेश।
रोजी-रोटी के लिए, जाते लोग विदेश।।
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फूली रोटी देखकर, मन होता अनुरक्त।
हँसी-खुशी से काट लो, जैसा भी हो वक्त।।
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फूली-फूली रोटियाँ, मन को करें विभोर।
इनको खाने देश में, आये रोटीखोर।।
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नगर-गाँव में बढ़ रहे, अब तो खूब दलाल।
रोटीखोरों ने किया, वतन आज कंगाल।।
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कुनबे और पड़ोस में, अच्छे रखो रसूख।
तब रोटी अच्छी लगे, जब लगती है भूख।।
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)