कविता

कविता – यादों का झरोखा

तेरी यादें को दिल में संजोये
तेरी इन्तजार में मै  बैठा  हूँ
शायद तुम्हें कुछ याद ना आये
पर तुमसे मैं प्यार कर बैठा हूँ

अरमानों की खिड़की खोलकर
तेरी दीदार में मैं बैठा    हूँ
दस्तक देती तेरी तन्हाई    अब
क्योंकि तुमसे मैं प्यार कर बैठा हूँ

वो पीपल की छाँव की सब यादें
वादे मन को गुदगुदाती       है
तेरी याद जब जब आती      है
दिल को कूरेद कर चली जाती है

तन की तेरी खुशबू मेरी  आज
चमन भी मुझे फीका सा लगता है
गुलशन की कलियॉ भी हमको अब
उजड़ा उजड़ा सा दीखता     है

वो पायल की घूंघरू की रूनझून
सरगम की खुमारी दे थपथपाती है
तेरी अल्हड़ मस्त चाल     अब
हिरणी भी देख     शरमाती  है

वो तेरी आँचल की परछाईं
मन को सूकून दे बुलाती है
तेरी सादगी अक्स ऑखों में
याद ताजा दे रूलाती      है

तुमसे मिलने को मेरे हमदम
दिल मचल मचल सा जाता है
बाँहों में  छुप जाने को हरदम
दिल उथल पुथल सा जाता है

आ जाना कुछ देर बैठ मैं
दिल की बात बतला दूँगा
तेरे साथ जीने मरने की
अपना दस्तखत कर जाऊँगा

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088