गीतिका/ग़ज़ल

ख़दंग

ये दिल है बेकरार सनम इधर तो देखो,
क्या गज़ब करते हो सनम इधर तो देखो।
गुजरती है मुझ में राते ख़दंग बनके देखो,
क्या गज़ब करते हो सनम इधर तो देखो।
इज़हार ए ख़ामोशी जाहिर का है ये पर्दा,
क्या गज़ब करते हो सनम इधर तो देखो।
विरान दिल से उम्मीद मौसम की ईद करलू,
क्या गज़ब करते हो सनम इधर तो देखो।
क्या जाने हम जिए न जिए बाहर आने तक,
क्या गज़ब करते हो सनम इधर तो देखो।
जब से सनम बसा आंखों में तब से फूली बहार,
क्या गज़ब करते हो सनम इधर तो देखो।
दर्द करता है तप-ए-इश्क क़ल्ब से होके जुदा,
क्या गज़ब करते हो सनम इधर तो देखो।
— बिजल जगड

बिजल जगड

२४ साल से क्लीनिकल मेडिकल सेल्स में मल्टीनेशनल कंपनी में पश्चिम और दक्षिण भारत की सेल्स टीम की हैड हिंदी,अंग्रेज़ी एवम् गुजराती साहित्य में रुचि। ६ साल से वे कविता , ग़ज़ल ,लेख ,माइक्रो फ्रिक्शन विधा में लिखती हूं। 29 एंथोलोजी किताब मैं सहभागी हूँ। महात्मा गांधी साहित्य मंच ने मुझे *राजाबलि* के नाम से नवाज़ा है, स्टोरी मिरर ने लिटरेरी कैप्टन ऑफ़ 2020 से नवाज़ा है, आल इंडिया आइकॉनिक अवार्ड हिंदी साहित्य के लिए मिला है, प्रोफाउंड राइटर अवार्ड 2021 के लिए दिया गया है। ८ सालो से आदिवासी गांव महाराष्ट्र और गुजरात में हर महीने दो दिन सेवा देती हूं। इंडिया आइकॉनिक अवार्ड, सेवा परमो धर्म अवॉर्ड से नवाज़ा गया है, और विजय रूपानी CM गुजरात जी ने मेरे काम के लिए अभिनंदन पत्र भेजा है । आध्यात्मिक सफर १४ साल पहले शुरू हुआ , और वे प्राणिक हीलिंग, एक्सेस बार्स कांशसनेस, साई संजीवनी हीलिंग, टैरो कार्ड ये सब मोड़ालिटी प्रैक्टिस करती हूँ। बिजल जगड मुंबई घाटकोपर