बेवफा हमसफर
दिल को जख्म तुमने दिया
मरहम कौन लगायेगा
मेरे बेवफा हमसफर
समझ तुमको कब आयेगा
कसमें तो खाई थी हमने
दीपक संग की हूँ बाती
चन्द दौलत की चकाचौंध
ठुकरा दी मुझ सा साथी
मेरी रातें तन्हाई में अब
बीत रही है हर दिन पल पल
रे पागल मेरी रात रानी
तुँ भी होगी एक दिन बे कल
कभी तो जीवन की मोड़ पर
महशूश होगी मेरी वो यादें
कभी तो प्रेमनगर पथ पर
महशूश होगी मेरी वो बाहें
एक दिन तुँ होयेगी बेकरार
उस दिन पछताना होगा तुम्हें
मेरी नादान रहबर
मेरी याद आयेगी जिस दिन
— उदय किशोर साह