कहानी

प्यार की परीक्षा

निकिता खाना खा कर ज्यों ही बेड पर आई, उसने अपना व्हाटसप मैसेंजर खोला। उसने देखा उसमें रोहन के बहुत सारे मैसेज आए हुए थे। निकिता ने मोबाइल की घड़ी में समय देखा, 10 बजकर चालीस मिनट हो गए थे। निकिता जानती थी रोहन प्रतिदिन रात साढे दस बजे से साढे ग्यारह तक उससे चैट में बात करता है। रोहन और निकिता एक ही कॉलेज में पढते है, और वे दोनों पिछले दो वर्षो से एक दूसरे को प्यार करते है।

निकिता ने मैसेज का रिप्लाई किया –
“हैलो रोहन.. ”

रोहन ऑनलाइन ही था उसने झट से रिप्लाई किया -”
हाय निक्की.. तुम जानती हो साढे दस बजते ही मैं बात करने के लिए ऑनलाइन आ जाता हूं फिर इतना लेट क्यूं? ”

निकिता -” सॉरी बाबा, मेरे घर में अभी तक सब जगे हुए है, मैं अभी जस्ट बेड पर आई हूं। कैसे बात करती सबके सामने? ”

रोहन -” अभी तक जगे है? पर तुम्हारे पैरेंट्स तो दस बजे तक सो जाते है ना? ”

निकिता – ” सो तो जाते है, पर आज मैच देख रहे थे टीवी पर। ”

रोहन -” मैच तो मैं भी देख रहा था, पर वो तो अब खत्म हो चुका है।”

निकिता -” इसिलिए तो मैं बात करने आ गई बेड पे। ”

रोहन -” अच्छा छोड़ो, तुमने खाना क्या सब खाया? ”

निकिता -” रोटी और पनीर की शब्जी।”

रोहन -” वाऊ.. इट्स योर फेवरेट भेजीटेवल ना? ”

निकिता -” या.. तुमने क्या सब खाया रोहन? ”

रोहन-” मैने तो छोले चावल खाए है। ”

निकिता -” वेरी गुड.. रोहन कल हम लोग कहीं लॉग ड्राईव पर चल रहे है ना? ”

रोहन -” नहीं यार इतनी जल्दी नहीं। अभी तो पिछले हफ्ते ही हम दोनों घूम कर आए है। ”

निकिता ने लिखा -” प्लीज रोहन कल कॉलेज भी ऑफ है, और मैने अब तक घर में नहीं बताया है। तुम्हें चलना ही होगा। ”

रोहन-” देखो निक्की मैं कल नही जा सकता, वैसे भी कल पापा को कहीं जाना है, कल मेरी ऑडी कार से वे खुद कहीं जा रहे है। इसिलिए कार मिलने से रहे।”

निकिता -” पर तुमने तो कहा था कि तुम्हारे पापा को उनका अपना पर्सनल कार है, और ऑडी तुम्हारे लिए है। ”

रोहन – ” मैने सत्य ही कहा था। पापा की कार अलग है, पर वे अपनी कार सर्विसिंग में दे चुके है आज शाम ही। ”

निकिता -” मै कुछ नही जानती, प्लीज कोई अरेंजमेंट करके चलो। ”

रोहन -” नही निक्की, कल मैं नही जा सकता मुझे कल कॉलेज की लाइब्रेरी में काम है।”

निकिता – “अरे घोंचू, कॉलेज बंद है तो लाइब्रेरी कैसे खुली होगी?”

रोहन -” अपनी जानकारी दुरुस्त करो जानेमन, कल  कॉलेज भले ही बंद हो पर लाइब्रेरी खुली हुई है और दिन भर मेरा समय कल वहीं बीतने वाला है। मुझे फस्ट इयर की सारी किताबें जमा कर सेकेण्ड इयर की किताबें लेनी है।

निक्की -” उफ.. ये काम तो परसों भी हो सकता है ना? मुझे कल तुम्हारे साथ कहीं चलना है, प्लीज कल के लिए मान जाओ। क्या तुम अपनी जान के लिए इतना भी नही कर सकते रोहन?”

रोहन -” बात को समझने की कोशिश करो निक्की। मैं कल तुम्हारें साथ नहीं चल सकता।”

निकिता -” ओके ठीक है। लगता है कल पूरा दिन घर में ही रहना होगा, कॉलेज तो बंद है, घर में बोर हो जाती हूं। ”

रोहन -” तुम भी कल लाइब्रेरी आ जाना, वहीं मिलेंगे। ”

निकिता- ” ना बाबा ना, मुझे लाईब्रेरी की उस सीलन और बदबू भरी दीवारों के बीच जा कर अपनी सासें नही फूलानी , वहां की एटमोसफेयर तुम्हें ही मुबारक।”

रोहन -” ठीक है, निक्की अब सोने का टाईम हो गया है। कल सुबह बात करते है। ”

निकिता -” ओके लव यू, एन्ड गुड नाइट ।”

रोहन – “लव यू टू डियर एन्ड गुड नाइट, हैव ए स्वीट ड्रिम्स। ”
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रोहन के ऑफलाइन होते ही निक्की अपने व्हाटसप कॉन्टेक्ट लिस्ट को स्क्राल करने लगी। वह अपने फ्रेंड के स्टेटस को देख रही थी। तभी उसे एक अननोन नंबर से मैसेज आया -” है… ”

निकिता ने उस नंबर के मैसेज को खोल कर देखी। वह नंबर पूरी तरह से अंजान था। प्रोफाइल पिक्चर के जगह पर टीवी सीरियल के किसी पात्र के साथ एक खूबसूरत शायरी लिखी हुई थी।
निकिता ने उसके नंबर पर टच करके उसके बारे में विस्तृत जानकारी पाने के लिए उसके प्रोफाइल में मौजूद नाम को देखना चाही। पर नाम के जगह Love is life ही लिखा हुआ मिला। आमतौर पर वहां लोग अपना नाम लिखते है। निकिता अभी कुछ सोच ही रही थी कि उधर से पुनः मैसेज आया -” हैलो जी… हाउ आर यू? ”

निकिता ने रिप्लाई किया -” आई एम सॉरी, आई डॉन्ट नो यूं… प्लीज टेल मी योर नेम..? ”

उधर से टाईपिंग किए जाने लगा। काफी देर तक टाईपिंग शो होता देख निकिता ने पुनः मैसेज किया -” रिप्लाई मी.. हू आर यू? ”

उधर से जवाब आया -” सॉरी निकिता जी, मेरा नाम सत्यम है, मैं रोहन का दोस्त हूं। ”

निकिता -” आपको मेरा नंबर कहां से मिला? क्या रोहन ने नंबर दिया है? ”

सत्यम -” नहीं नहीं कल रोहन मेरे घर अपना फोन भूल गया था, मैने उसी के फोन से आपका नंबर लिया है? ”

निकिता -” परंतु क्यों? ”

सत्यम- ” दरअसल मुझे आपसे एक बहुत ही जरूरी बात करनी है ।”

निकिता -” कौन सी जरूरी बात? ”

सत्यम -” समझ नहीं आ रहा कैसे कहूं, पता नहीं मेरी बात सुन कर आप कैसे रियेक्ट करोगी? ”

निकिता -” आप बोलो तो, फिर मैं डिसाइड करूंगी कि कैसा रियेक्ट करना चाहिए। ”

सत्यम -” दरअसल मैं ये कहना चाहता हूं कि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं। ”

निकिता -” ये आप क्या कह रहे हो, क्या आप नहीं जानते कि मैं और रोहन एक दूसरे से दो वर्षों से रिलेशनशिप में है?”

सत्यम-” जानता हूं ।”

निकिता -” फिर भी आप ऐसा बोल रहे हो, रूको मैं रोहन से बात करती हूं। आपकी इतनी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसी बातें करने की।”

सत्यम -” अरे यार रूको तो, रोहन से बाद में बात कर लेना, पहले मेरी बात तो सुन लो? ”

निकिता -” मैं क्यों सुनूं तुम्हारी बातें, तुम ये जानते हुए कि मैं रोहन से प्यार करती हूं, रोहन भी मुझसे प्यार करता है, परंतु फिर भी तुम ऐसी बाते बोल रहे हो।”

सत्यम -” सुनो तुम शायद ये नहीं जानती कि रोहन तुमसे कितना बड़ा झूठ बोला है? ”

निकिता -” झूठ..? कौन सा झूठ?”

सत्यम -” तुम दोनों जिस ऑडी कार से हर वीकएन्ड पर लॉग ड्राईव पर जाती हो, तुम्हें पता है वो किसकी कार है? ”

निकिता -” हां जानती हूं, वो रोहन की कार है।”

सत्यम -” यहीं तो वो बात है जो रोहन इतने दिनों से झूठ बोलता आ रहा है तुमसे। दरअसल वो कार मेरी है, और जब भी तुम्हें वो घुमाने ले जाता है मुझसे कार मांग के ले जाता है। ”

निकिता -” तुम सच कह रहे हो इसकी क्या गारंटी है? ”
सत्यम -” गारंटी मैं देता हूं, और प्रूफ भी, तुम खुद डिसाइड करना कि मेरी बाते सही है अथवा गलत। ”

निकिता -” ठीक है दो प्रुफ? ”

सत्यम-” कल तुम्हारे कॉलेज की छुट्टी है, तुम रोहन से अभी बात करो और बोलों अपनी कार से तुम्हें कहीं घूमाने ले चले, वो पक्का कोई ना कोई बहाना बना कर टाल जाएगा, क्योंकि वह आज दिन में ही मुझसे कल के लिए कार मांगा था पर मेरी कार मेरे पिताजी ले गए है इसिलिए मैने उसे मना कर दिया। तुम बात करके देखो, मेरा दावा है वह भी तुम्हें मना कर देगा। ”

निकिता मन ही मन सोचने लगी कि कहीं सत्यम की बातें सच तो नहीं..क्योंकि अभी जस्ट वह रोहन से बात कर रही थी और रोहन ने सच में बहाना बनाया है।
तो क्या मुझे सत्यम की बात पर यकीन कर लेना चाहिए?

सत्यम का मैसेज पुनः आया -” क्या सोचने लगी ,करो बात, कंफर्म हो लो।”

निकिता बोली-” आई थिंक तुम सच कह रहे हो… बॉय द वे तुमसे एक बात पूछूं सत्यम? ”

सत्यम-” हां पूछो ना?”

निकिता -” वैसे तुम कब से मुझे चाहते हो? ”

सत्यम -” जब से तुम्हें देखा है। ”

निकिता -” और कब देखा तुमने मुझे, और कहां पर? ”

सत्यम ने कहा -” तुम्हारे ही कॉलेज में देखा हूं करीब दो वर्ष पहले, जब तुम रोहन के साथ पहली बार कॉलेज की छुटी के बाद कहीं घूमने जा रही थी, तुम्हें शायद याद नही रोहन उस दिन कॉल करके किसी से ऑडी कार मंगाया था। वो कार लेकर आने वाला मैं ही था। मैने तुम्हें उसी दिन देखा, पहली ही नजर में तुम पसंद आ गई, पर तुम रोहन के साथ थी। मै तुम्हें अपने दिल की बात कहना ही चाहता था कि रोहन ने तुम्हें प्रपोज कर दिया। ”

निकिता -” तो तुम फिर आज क्यों अपने दिल की बातें कहने के लिए मैसेज किए हो जबकि अभी भी तुम्हें पता है कि मैं रोहन की गर्लफ्रेंड हूं?”

सत्यम- ” क्योंकि मुझें कल ही पता चला कि जिस लड़की से वह दो साल से रिलेशनशिप में है उसे झूठ बोल कर मेरी गाड़ी को अपनी गाड़ी बता कर वह तुम्हें घुमाने ले जा रहा है। ”

निकिता -” अच्छा किया सत्यम जो तुमने यह बात मुझे बता दी। वैसे एक बात पूछूं? ”

सत्यम-” हां पूछो? ”

निकिता -” तुम कल क्या कर रहे हो? ”

सत्यम-” मैं तो फ्री हूं, बोलो क्या काम है? ”

निकिता -” क्यों ना हम दोनों कहीं घूमने चले..? ”

सत्यम-” मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन रोहन को पता चला तो? ”

निकिता -” उसे कौन बताएगा, मैं नहीं बताउंगी, तुम भी नहीं बताओगे, तो उसे सपना थोड़ी आएगा। वैसे भी वह कल दिन भर लाईब्रेरी में घुसा रहेगा। ”

सत्यम-” तो ठीक है, डन। कल ठीक ग्यारह बजे तुम पटेल बस स्टॉप पर वेट करना। मैं अपनी ऑडी कार से तुम्हें पिक कर लूंगा? ”

निकिता -” पर तुमने तो कहा कि ऑडी कार तुम्हारे पापा ले गए? ”

सत्यम -” अरे वह तो रोहन के लिए बहाना था। मेरी कार का मालिक सिर्फ मैं ही हूं। पिताजी मेरी कार को कभी हाथ भी नहीं लगाते।”

निकिता -” ओके फिर ठीक है। कल ग्यारह बजे डन। ”
सत्यम-” गुड नाईट डियर । ”

निकिता -” गुड नाईट, टेक केयर, सी यू टूमोरो।”
****
अगले दिन ग्यारह बजे।
पटेल बस स्टाप पर निकिता सजधज कर आंखों में गोगल्स चढाए सत्यम का वेट कर रही थी। तभी
सत्यम का मैसेज आया -” हाय हन्नी, कहां हो? ”

निकिता ने फटाफट रिप्लाई किया -” पटेल बस स्टॉप पर, तुम कहां हो? ”

सत्यम-” ऑन द वे हूं, बस पहुँच ही रहा हूं। ”

निकिता -” ओके.. आइ एम वेटिंग। ”

करीब पाँच मिनट बाद।
वहां एक ऑडी कार आकर रूकी।
कार का शीशा उतरा, और अंदर ड्राइविंग सीट पर बैठे रोहन को देख निकिता बुरी तरह कांप उठी।

रोहन ने कहा -” किसका इंतजार हो रहा है? ”

निकिता  ने हड़बड़ाहट में कहा -” किसी का नही.. बस यूं ही, मार्केट जा रही हूं। ”

“परंतु इस रास्ते में तो ना ही तुम्हारा घर है ना ही मार्केट, फिर इधर कैसे? ”

निकिता कुछ जवाब ना दे सकी । रोहन ने कहा -” जिसका तुम इंतजार कर रही हो वो नहीं आएगा क्योंकि मैं ही सत्यम के नाम से वह मैसैज किया था। बहुत से लोग कॉलेज में कहते थे कि कोई तुमसे भी ज्यादा अमीर लड़के अगर मिल जाए तो तुम मुझे भी धोखा दे सकती हो। सच कहता था वो। तुम्हारे प्यार की परीक्षा लेने के लिए मैं नए नंबर से वैसा मैसेज किया और तुम्हारी असलियत सामने आ गई। जिस रोहन के साथ दो साल से रिलेशनशिप में हो, जिसकी गाड़ी में बैठ सैकड़ों जगह की सैर मुफ्त में की, उसके बारे में कोई कुछ बोल दिया तो उसी की बात सच मान कर उसके साथ घूमने निकल पड़ी। एक बार भी कॉल या मैसेज करके मुझसे पूछने की जरूरत नही समझी, थू है तेरे प्यार पर..? ”

निकिता कुछ कहना ही चाह रही थी परंतु रोहन ने कार का शीशा उपर चढाया और गाड़ी आगे बढा दी।
समाप्त
स्वरचित।
     – ओम प्रकाश ‘आनंद’

ओम प्रकाश 'आनंद'

मेरा पूरा नाम ओम प्रकाश राय है। मैं मूल रूप से बिहार के मधेपुरा जिले (गांव - गोठ बरदाहा) का रहने वाला हूं। मेरी जन्म तिथि 6 मार्च 1985 है। मैने ग्रेजुएशन (Zoology Hons. ) तक की पढाई की है जो साल 2008 में पूरी हुई। हिंदी साहित्य पढने और लिखने में रूचि शुरू से ही है। मैं अपने प्राइवेट नौकरी के दौरान मिले खाली समय का उपयोग लिखने व पढने में करता हूं। मेरी लिखी रचना पर आपके सुझाव, शिकायत और अन्य प्रतिक्रिया का स्वागत है। मेरी अन्य रचनाएं आप प्रतिलिपि पर भी पढ सकते है।