अपना सपना
ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना रे
2022 में मिला देश को खुशियों का खजाना रे ।
आत्मनिर्भरता की ओर भारत कदम बढ़ा रहा
आत्मविश्वास की पूंजी जन-जन तक पहुंचा रहा
पूंजीपतियों की नकेल कसने में आज भी सिफ़र रहा
वसुधैव कुटुंबकम् का भाव जगाने में निष्फल रहा ।
भाषाएं हैं अलग अलग फिर भी एकजुटता का पाठ नित्य पढाये
राष्ट्र हित सर्वोपरि है काश नयी पीढी को समझा पाये
वतन से दूर सपने लिये प्रस्थान कर जाते युवा
पीठ पीछे रोती हैं माएँ काश उसने समझा होता
स्वदेश में संसाधन हैं सीमित
अर्थ की आस में बच्चे भटकते रहते निशदिन
रोजगार बढाये,काश ऐसा नया साल आये
संतान से वियोग का दुख क्या होता है
काश जीते जी बच्चों की समझ आये ।
विकास शील से विकसित राष्ट्र का ख्वाब
नया आने वाला वर्ष पूरा कर पाये ।
फिर तो हर दिन होली और रात दीवाली बन जाये ।
— आरती रॉय