गीत/नवगीत

अलविदा-22

बीत गया जो,बीत गया वह,आगत का सत्कार करो।

नूतन का करके अभिनंदन,जाते से भी प्यार करो।।
कहीं तिमिर,तो कहीं उजाला,
सूरज है तो रातें हैं।
सुख,विलास है,तो बेहद ही,
दुक्खों की बरसातें हैं
जीवन फूलों का गुलदस्ता,हर पल को उपहार करो।
नूतन का करके अभिनंदन,जाते से भी प्यार करो।।
एक साल जो रहा साथ में,
वह भी तो अपना ही था।
हमने जो खुशहाली सोची,
वह भी तो सपना ही था।।
दुख,तकलीफें,व्यथा,वेदना,कांटों का संहार करो।
नूतन का करके अभिनंदन,जाते से भी प्यार करो।।
यही हक़ीक़त यही ज़िन्दगी,
है बहार तो वीराना।
कभी लगे मौसम अपना-सा,
कभी यही है अंजाना।।
आशाओं का दामन थामो,अवसादों पर वार करो।
नूतन का करके अभिनंदन,जाते से भी प्यार करो।।
           — प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]