कविता

ज़िन्दगी

क़ीमत हर एक रिश्ते की – इस दुनिया में चुकानी ही पडती है
दर्द जिस क़दर भी हो दिल में – मुस्कराहट लबों पर लानी ही पडती है
राहे उल्फ़त के अन्धेरों को – मिटाने के लिये इन्सान की ज़िन्दगी से
कभी कभी शमाह दिल के ज़ख़्मों की – ज़िन्दगी में जलानी ही पडती है
घबराकर ज़िन्दगी की मुश्किलों से – रूठा जाता नही कभी भी इस दुनिया से
हादसों के होते हुए भी ज़िन्दगी में – ख़ुशी दिल की मनानी ही पडती है
ना ही कारवान ना ही रास्ते – बदले जाते हैं ज़िन्दगी के सफ़र के
आज़माईश ख़द ही अपने आप की – ज़िन्दगी मे करनी ही पडती है
ज़रूरी नही कि हर ख़्वाहिश आदमी की – पूरी ही हो जाए उसकी ज़िन्दगी में
बुहत कुछ पाने के लिये ज़िन्दगी में – खाक वीरानों की छाननी भी पडती है
जंग अन्धेरों से जब भी हो जाए – लाज़म आप पर इस ज़िन्दगी में
लहू अपने से ही आप को रौशनी – चराग़ों मे अपने हाथों से करनी ही पडती है
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इतराओ ना कभी भी चार दिन की – चाँदनी की चमक से दिलों में मदन
ढलते ही रात के रौशनी सूरज को – अपनी बुझानी ही पडती है
ख़ुशी से बसर हो जाए ज़िन्दगी – हर बशर की आज की इस दुनिया में
ख़ुशियों की रागनी के साथ साथ – धुन ग़मों की भी बजानी ही पडती है

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570