क़ीमत हर एक रिश्ते की – इस दुनिया में चुकानी ही पडती है
दर्द जिस क़दर भी हो दिल में – मुस्कराहट लबों पर लानी ही पडती है
राहे उल्फ़त के अन्धेरों को – मिटाने के लिये इन्सान की ज़िन्दगी से
कभी कभी शमाह दिल के ज़ख़्मों की – ज़िन्दगी में जलानी ही पडती है
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घबराकर ज़िन्दगी की मुश्किलों से – रूठा जाता नही कभी भी इस दुनिया से
हादसों के होते हुए भी ज़िन्दगी में – ख़ुशी दिल की मनानी ही पडती है
ना ही कारवान ना ही रास्ते – बदले जाते हैं ज़िन्दगी के सफ़र के
आज़माईश ख़द ही अपने आप की – ज़िन्दगी मे करनी ही पडती है
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ज़रूरी नही कि हर ख़्वाहिश आदमी की – पूरी ही हो जाए उसकी ज़िन्दगी में
बुहत कुछ पाने के लिये ज़िन्दगी में – खाक वीरानों की छाननी भी पडती है
जंग अन्धेरों से जब भी हो जाए – लाज़म आप पर इस ज़िन्दगी में
लहू अपने से ही आप को रौशनी – चराग़ों मे अपने हाथों से करनी ही पडती है
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इतराओ ना कभी भी चार दिन की – चाँदनी की चमक से दिलों में मदन
ढलते ही रात के रौशनी सूरज को – अपनी बुझानी ही पडती है
ख़ुशी से बसर हो जाए ज़िन्दगी – हर बशर की आज की इस दुनिया में
ख़ुशियों की रागनी के साथ साथ – धुन ग़मों की भी बजानी ही पडती है