गज़ल
जब भी मिले प्यार से मिले मियां
फिर मत करिये शिकवा गिले मियां
एक दिन निश्चित खुले उसकी पोल
उसके नाम तो हैं घपले मियां
कई पीढ़ियां तर जायेंगी यार
रिश्तों की माला जप ले मियां
कोई असर होगा नहीं इन पर
कसिये कितने आप जुमले मियां
बढ़ गई हैं दिलों की जो दूरी
मिटाए कम करके फासले मियां
समीक्षा करें तो बेहिचक करिए
बेवजह किसी को ना छिले मियां
तुम सभी मिलकर इसी तरह रहो
जैसे जल में शक्कर घुले मियां
हर कदम पर आपके साथ रहे
उसे आप कभी नहीं भूले मियां
रखें रमेश का सदैव ही ख्याल
मत छिड़किये नमक जो जले मियां
— रमेश मनोहरा