कविता – बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
ईश्वर का वरदान बेटियां होती है
हर घर की शान बेटियां होती है
दोनों कुलों की पहचान बेटियां होती है
गौरव बन सबका सर गर्व से बेटियां उठाती है
बेटी पढाओ बेटी बचाओ यही अब पुकार है
बने आत्मनिर्भर किसी के ऊपर न बने बोझ यही दरकार है
जब बेटियां पढ़ेगी समाज,देश संस्कारवान बनेगा
आगे चलकर यही देश की रक्षा की नींव रखेगा
बेटी को पैदा होते ही गर्भ में ही मार देते हो
बेटियां को क्या जीने का अधिकार नहीं रखती
फिर क्यों उनके साथ भेदभाव किया जाता है
ऐसे कैसे हर कोई उसे पराया कहकर चला जाता है
बेटियां जब पढ़ेगी देश प्रगति की ओर बढ़ेगा
बनेगी जब महाकाली तब ही मानव समाज सुधरेगा
करते अत्याचार जुल्म कितना ढहाते हो
मानव होकर किस हद तक दरिंदगी दिखाते हो
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बस एक ही हो लक्ष्य हमारा
स्वाभिमान होकर जिये सम्मान मिले
सबका हो यही एक विचार बेटी को समान न्याय मिले
— पूनम गुप्ता