गीत
न्योछावर की लै कर के दीप्त सुरम्य भारत।
सीस हथेली ऊपर धर के दीप्त सुरम्य भारत।
गणतंत्र की इतिहास व्यवस्था से संविधान बनाया।
अमर सपूतों कर के ही आज़ादी दिवस कहलाता।
तब ही सूर्य भांति मर के दीप्त सुरम्य भारत।
न्योछावर की लौ कर के दीप्त सुरम्य भारत।
जाति धर्म से ऊपर उठकर सामाजिक नवनिर्माण।
मानववादी आदर्शों की उत्पन्न हुई पहचान।
उन्नति वाले दुःख सुख जर के दीप्त सुरम्य भारत।
न्योछावर की लौ कर के दीप्त सुरम्य भारत।
ममता समता भाईचारा ह्रदय भीतर छुपाया।
बलिदानों की नीति ऊपर फिर तिरंगा फहराया।
पांव छूकर फिर गिरिधर के दीप्त सुरम्य भारत।
न्योछावर की लौ कर के दीप्त सुरम्य भारत।
पश्चिमी रंगों ढंगों को फिर देश निकाला दे कर।
दैहिक वैदिक भौतिकता का एक शिवाला दे कर।
चिंतन में उंचाई भर के दीप्त सुरम्य भारत।
न्योछावर की लौ कर के दीप्त सुरम्य भारत।
आधुनिकता में प्रगति के फिर और किनारे ढूंढ़े।
कुशल मनोरथ की नांव के खेवनहारे ढूंढ़े।
नैतिकता के सागर तर के दीप्त सुरम्य भारत।
न्योछावर की लौ कर के दीप्त सुरम्य भारत।
बालम, इस के माथे ऊपर तिलक क्रांतिकारी का।
सुबह सवेरे जैसे सूर्य रूप लिए प्रभारी का।
प्यार मुहब्बत में संवर के दीप्त सुरम्य भारत।
न्योछावर की लौ कर के दीप्त सुरम्य भारत।
— बलविंदर बालम