सत्य का सम्मान
कहना वो जो दीखता है सच्चाई
झूठा को ना तरजीह ना दो भाई
झूठे का दलदल जब भी है आता
दलदल में फॅसाकर ही है जाता
सत्य की दीवार पे टिकी जग सारा
झूठी कहानी का ना है कोई यारा
लाख मुसीबत तुफान को बुलाये
शर्मिन्दा हो ना हमे कभी रूलाये
सदैव रखना सच्चाई का सम्मान
झुठे पे ना करना कभी अभिमान
झुठे का साया जग को है रूलाया
शान शौकत को पल में गॉवाया
सत्य पाठ की पढ़ना है सदा कहानी
चाहे सामने दीखे बाघ की भी नानी
सत्यमेव जयते सदैव ही है कहना
भाई बन्धु सत्य को याद ही रखना
— उदय किशोर साह