कविता

सर्दी का मौसम

सर्दी का है मौसम  आया।
आसमान में बादल छाया।
रात लगी है पर फैलाने,
शाम हुई कि कोहरा छाया।
सर्दी का मौसम है आया।।
सूरज ने जब धूप चमकाई।
देह तपी, धरती गरमाई।
स्वेटर मफलर अब लगें सही,
मूंगफली मिल सबने खाया।
सर्दी का है मौसम आया।।
बूंदों की बौछार पड़ी जब।
ठिठुरन, गलन बढ़ी तब-तब।
भाग गए सब पतले चादर,
बिस्तर पर है कम्बल आया।
सर्दी का है मौसम आया।।
खेल-कूद व लिखना-पढ़ना।
मम्मी कहती घर में रहना।
बच्चे घर में कैद हुए हैं,
जाड़े ने अब बहुत सताया।
सर्दी का है मौसम आया।।
— आसिया फ़ारूक़ी 

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र