ये शहर की सर्द राते और नींद का बोझ,
ख्वाब जिंदगानी के ,और नींद का बोझ।
ओस में भीगी तन्हाई,फूल नहीं खिले
कुबूल हुई न दुआएं और नींद का बोझ।
इन रगों में अब ना बची हुई है सांस,
रेजों में बट गए है और नींद का बोझ।
दिल -ए – वहशी की पुकार बढ़ती गई,
बड़े आज़ाब में हूं ,और नींद का बोझ।
ख्वाब ही ख्वाब मे ता-उम्र कटी जिंदगी,
मेरी थकन गर्द गर्द और नींद का बोझ
एक पुरानी वादियों में गूंजे गहरी झील,
जिंदगी एक नग्मा और नींद का बोझ।
आंखों में ज़दा कोहरा था गर्माइश पर,
सैली सी ख़ामोशी और नींद का बोझ।
— बिजल जगड