दोहे “शेर-दोहरे छन्द”
माता के वरदान से, होता व्यक्ति महान।
कविता होती साधना, इतना लेना जान।।
—
कविता का लघु रूप हैं, शेर-दोहरे छन्द।
सन्त-सूफियों ने किये, दोहे अधिक पसन्द।।
—
दोहों में उपदेश हैं, शेरों में जज्बात।
दोनों छन्दों में अलग, होते हैं हालात।।
—
दोहे हिन्दी की विधा, उर्दू के हैं शेर।
इश्क-मुश्क का शेर में, लगा हुआ है ढेर।।
—
दोहा रचना है नहीं, इतना भी आसान।
कर जाते हैं गलतियाँ, बड़े-बड़े विद्वान।।
—
करना सोच-विचारकर, कविता का संधान।
अपनी कमियों का नहीं, होता खुद को भान।।
—
कभी अधूरे ज्ञान पर, मत करना अभिमान।
पारंगत होता नहीं, कोई भी इंसान।।
—
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)