कविता

विश्वासघात

हमने चिराग झ्सलिये जलाया
कि अंधकार से मुक्ति दिलायेगा
पर चिराग के संवध में पता नहीं था
कि चिराग भी अन्धेरों से मिल जायेगा

हमने पतवार इसलिये थामा
कि लहरों से हमें बचायेगा
।पर पतवार के संवध में पता नही था
कि पतवार भी तुफान से मिल जायेगा

हमने हमसफर तुमको बनाया
कि जीवन प्रेम से गुजर जायेगा
पर हमसफर के संवध में पता नहीं था
कि हमसफर भी धोखा दे चला जायेगा

हमने मित्रता इसलिये किया
कि सुख दुःख में साथ निभायेगा
पर मित्रवर के सवंध में पता नहीं था
कि मित्र भी बैरी से मिल जायेगा

हमने विश्वास तुम पे किया
कि मुसीबत में भी राह दिखायेगा
पर हमें पता नहीं था रहबर
कि रहबर भी दिल को सजा दे जायेगा

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088