हाइकु मुक्तक
हुआ सवेरा/पंछी चहचहाये/नींद उड़ाये
अपनापन / अनमोल सौगात/प्यार जगाये
रिश्तों की पूँजी/भावनाओं का मेल/ है धरोहर
चाहतें नई/शालीनता सहेली/उम्र सिखाये ।
कौन अल्हर/ मासूम बचपन/ना मेरा मन
आभाषी मंच/उत्सव सा आनंद/ चिंतित मन
प्रकृति प्रेम/बागवानी का शौक/मिले आनंद
बाग बगीचे/मनोहर लगते/करूँ जतन
प्रेम संम्बंध/रिश्तों की मर्यादा में/पंख फैलाये
बावड़ा मन/ मन के हिंडोले में/उड़ता जाये
भक्ति का मार्ग/बहुत है कठिन/ज़िद असीम
कैसी ये रीत/कान्हा के संग प्रीत/रोज सिखाये
भूले बिसरे / गीत गुनगुनाते/ बांवड़ा मन
नयी विधाएं/ उत्साह जगाते हैँ/ मन मगन
नमन करूं / जगतजननी को / बांह थाम ली
साथ निभाना / अंतिम सांस तक/ अभिनंदन
— आरती रॉय.