मुक्तक/दोहा

हाइकु मुक्तक

हुआ सवेरा/पंछी चहचहाये/नींद उड़ाये
अपनापन / अनमोल सौगात/प्यार जगाये
रिश्तों की पूँजी/भावनाओं का मेल/ है धरोहर
चाहतें नई/शालीनता सहेली/उम्र सिखाये ।
कौन अल्हर/ मासूम बचपन/ना मेरा मन
आभाषी मंच/उत्सव सा आनंद/ चिंतित मन
प्रकृति प्रेम/बागवानी का शौक/मिले आनंद
बाग बगीचे/मनोहर लगते/करूँ जतन
प्रेम संम्बंध/रिश्तों की मर्यादा में/पंख फैलाये
बावड़ा मन/ मन के हिंडोले में/उड़ता जाये
भक्ति का मार्ग/बहुत है कठिन/ज़िद असीम
कैसी ये रीत/कान्हा के संग प्रीत/रोज सिखाये
भूले बिसरे / गीत गुनगुनाते/ बांवड़ा मन
नयी विधाएं/ उत्साह जगाते हैँ/ मन मगन
नमन करूं / जगतजननी को / बांह थाम ली
साथ निभाना / अंतिम सांस तक/ अभिनंदन
— आरती रॉय.

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com