शे’र..
मैं चाहता रहा हरदम हालात मेरे दुरस्त हों,
ज़िंदगी इसी जुस्तजू में देखो हाथों से निकल गई!
तुम्हारी बातों का जिक्र भी दिल को अजीब सा सुकून देता है,
तुम मिल जाओ अगर सदा के लिए तो हाले दिल ब्यां कैसे करेंगे!
मैं चाहता रहा हरदम हालात मेरे दुरस्त हों,
ज़िंदगी इसी जुस्तजू में देखो हाथों से निकल गई!
तुम्हारी बातों का जिक्र भी दिल को अजीब सा सुकून देता है,
तुम मिल जाओ अगर सदा के लिए तो हाले दिल ब्यां कैसे करेंगे!