कविता

मेरा व्यक्तित्व

जाने क्यों आप लोग कहते हैं
कि मैं अड़ियल टाइप इंसान हूं
हठधर्मी,अकड़ू शैतान हूं।
अब मैं क्या कह सकता हूं?
आपकी अपनी सोच है
जो सौ टका दुरुस्त भी है।
आपको जानकर अचंभा होगा,
क्यों कि आपके समर्थन में यमराज भी
इसी बात पर अड़ा होगा।
सुनने में आपको अजीब लगा न
पर सचमुच ही ऐसा है।
चलिए प्रमाण भी दे देता हूं
कल यमराज से हुई वार्ता का
प्रलाप सुना देता हूं।
बड़े उत्साह से कल यमराज ने मुझे
मुझसे मिलने अपने शीघ्र आने का
बड़े उत्साह से समाचार सुनाया।
अब भला मैं भी कहां चूकने वाला था।
मैंने भी सहर्ष स्वीकारा
कविता सुनाने की शर्त रख दी,
यमराज चकराया,अपना सिर खुजाया।
स्वीकार के अंदाज में हूं भर कहा
और मौन हो गया।
कुछ पल का सन्नाटा छाया रहा
मैंने फिर उकसाया-क्या हुआ भाया?
अब यमराज परेशान, आखिर क्या जवाब दे।
उसने मुझसे कहा
बिना कविता सुनने के
कोई और मार्ग है क्या?
मैंने भी अपना दांव चला
एक सरल मार्ग है बस उसी पर आगे बढ़
अपने आने का टिकट
अभी के अभी कैंसिल कर।
तू भी परेशानी से बच जायेगा
मेरी कविता सुनने से मुक्त हो जायेगा
मैं भी तेरे आवभगत से बच जाऊंगा।
मुझे भी आना ही ये तो पक्का है
तब मैं स्वयं आ जाऊंगा
तुम्हारे आने जाने का समय बचाऊंगा
फिर जब तक मैं आऊंगा
सौ पचास कविताएं और लिख लाऊंगा
और तब तुम्हें अपनी कविता जरूर सुनाउंगा।
तब तू भागकर कहां जाऊएगा?
मेरी कविता सुनने के सिवा
और कोई रास्ता तेरे पास जो नहीं होगा
तब तू सिर्फ मेरी कविता सुनेगा और पछताएगा
मेरे व्यक्तित्व की तारीफ
स्वर्ग नरक सब ओर करेगा।
मेरे सहारे तू भी कविता करने लगेगा और
ब्रम्हांडीय कवि यमराज कहलाएगा।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921