इतिहास

धर्मान्तरण के विरुद्ध लड़ने वाले खुमसिंह महाराज

जब हम धर्म के लिए संघर्ष करने वाले गुरु तेगबहादुर से लेकर धर्म युद्ध करने वाले गुरु गोविंद सिंह का वर्णन करते है तो हमारे नेत्रों के सामने त्याग व समर्पण का ऐतिहासिक व्यक्तित्व दिखाई देता है। ठीक उसी प्रकार मध्यप्रदेश के जनजाति क्षेत्र के ऐसे ही एक व्यक्तित्व जिन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म जागरण के लिए संघर्ष में समर्पित कर दिया, आदरणीय खुमसिंह जी महाराज जिन्हें झाबुआ मालवा निमाड़ क्षेत्र का बच्चा बच्चा जानता, व उनका अनुसरण करता है। स्व. संत श्री खूम सिंह जी महाराज जी का जन्म 1949 में एक निर्धन जनजाति परिवार में हुआ। झाबुआ में जन्म लेने वाले खुमसिंह जी महाराज जन्म से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे अपने क्षेत्र में आकर मकान तोड़ने का कार्य करने वाली ईसाई मशीनरी के प्रति उनके मन में बहुत क्रोध का जिसके कारण उन्होंने समाज के जागरण का पथ अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया गांव गांव नगर नगर समाज के जागरण के लिए जाने लगे विश्व हिंदू परिषद से जुड़कर व्यापक रूप में इन्होंने केवल झाबुआ ही नहीं बल्कि पूरे मालवा निर्माण में ईसाई धर्मांतरण के विरुद्ध धर्म युद्ध का बिगुल बजा दिया।
 भक्ति आंदोलन एवं सामाजिक सुधार आंदोलन से उन्होंने झाबुआ और आस पास के जनजाति बहुल क्षेत्र में जागरण शुरू किया, उस समय पूरा जनजाति समाज कई प्रकार की कुरीतियों, अंधविश्वास, कुप्रथाओं, नशा, जातिवादी, हिंसक, एवं आर्थिक पिछड़ेपन, मांसाहार, धर्मान्तरण, गौ हत्या जैसी विसंगतियों व समस्याओं से जूझ रहा था। खुमसिंह जी महाराज ने देश, धर्म और समाजहित में समस्त हिन्दू समाज को जोड़ना आरंभ किया, उनके सहयोग में झाबुआ व आसपास का समस्त हिन्दू समाज भी सदैव खड़ा रहा। समाज को नशे से मुक्त कराकर सशक्त बनाना, दहेज दापा समाप्त करके (वधू मूल्य की कुप्रथा) इस कुरीति से समाज को ऊपर उठाना, सनातन धर्म का प्रचार करना, सात्विक आहार, अहिंसा, उन्नत खेती, शिक्षा, स्वास्थ्य, परंपरा, संस्कृति और सभ्यता की रक्षा करना, जनजाति बन्धुओं का धर्मान्तरण रोकना आदि अन्य सामाजिक सुधार का आंदोलन शुरू किया। साथ में भक्ति शाखा (सनातन धर्म का प्रचार उद्देश्य हेतु) की स्थापना कर समस्त समाज को समरसता में जोड़ते हुए पूरे क्षेत्र में व्यापक अभियान चलाए ( सन 1965 – 70 के दशक में) और भगत बनाना शुरू किया। भगत बनने की शर्तें और नियम बनाए गए थे जैसे कुप्रथाएं छोड़ना, नशा छोड़ना, सात्विक भोजन करना, अहिंसा पर चलना, दहेज दापा नहीं लेना, सुबह शाम भगवान को अगरबती लगाना(पूजा पाठ करना), अच्छे कपडे पहनना, बच्चों को स्कूल भेजना और पढ़ाना, झाड़फूंक अंधविश्वास को छोड़कर आयुर्वेदिक इलाज करवाना, अपनी संस्कृति और सभ्यता के अनुसार जीवन जीना तथा धर्मान्तरण नहीं करना, माथे पर तिलक लगाना आदि सामाजिक सुधार में खुमसिंह जी महाराज की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक संस्था की स्थापना की थी जिसका नाम है “आदिवासी समाज सुधारक संघ” जिसमें सर्व समाज के सदस्य बनाए गए और उसके बाद पैदल घर – घर प्रचार प्रसार किया गया था। जिसका अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव हुआ और कुछ वर्षों में झाबुआ सहित आस पास के सम्पूर्ण क्षेत्र, समाज पर पड़ा और लाखों लोग उनसे जुड़ गए।  फिर आप विहिप धर्म प्रसार विभाग से जुड़े और आजीवन विहिप के केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे एवं मालवा प्रांत के उपाध्यक्ष रहें । उन्होंने लगभग 20 हजार से अधिक धर्मांतरित परिवारों की घर वापसी करवाई। विहिप से जुड़ने के बाद उनका कार्यक्षेत्र और अधिक विस्तृत हुआ। धर्म जागरण और धर्मान्तरण के विरुद्ध संघर्ष व्यापक रूप से आरंभ हुआ। जोकि उनके बाद भी आज तक अनवरत जारी है इस धर्म युद्ध में उनके भक्त कहें या अनुयायी कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ खड़े रहे आज भी अवैध चर्च ईसाई मतांतरण के विरुद्ध झाबुआ में हिंदू समाज की संगठित शक्ति के रूप में आपके अनुयायी व मानने वाले इस धर्मयुद्ध संघर्ष में निरंतर प्रयत्नशील है।
मालवा निमाड़ से ईसाई मतांतरण का समूल नाश कर ईसाई मशीनरी को खदेड़ने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। अवैध चर्चों के विरुद्ध समाज जागरण करके मतांतरण का षड्यंत्र करने वाले दुर्जनों के विरुद्ध समाज की सज्जन शक्ति को खड़ा करना यही खुमसिंह जी महाराज का उद्देश्य था जिसे लेकर आज सैकड़ों जनजाति युवा धर्म कार्य में लगे हुए हैं, आप विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य के साथ मालवा प्रांत उपाध्यक्ष भी रहे। आपका स्वर्गवास दिनांक 03/02/2019 को हुआ था। आपके कार्यकाल में झाबुआ जनजाति अंचल में ईसाई पादरी व मशीनरी कभी भी धर्मान्तरण में सफलता नही पा सकी, झाबुआ में लगने वाले क्रिसमस मेला जो कि पादरी मेला के नाम से जाना जाता था जहां बड़ी संख्या में जनजाति वर्ग का धर्मान्तरण करने का प्रयत्न किया जाता था, उस मेले को बंद करके अब वही मेला आदरणीय खुमसिंह जी महाराज के नाम से उनकी स्मृति में लगता है। जनजाति क्षेत्र बाहुल्य झाबुआ में खुमसिंह जी महाराज जनजाति संत के रूप में घर घर में आज भी पूजे जाते है, इनके हजारों साधक (अनुयायी) इन्हें अपना इष्ट मानकर भगवत भक्ति, सत्संग, और धर्म जागरण के कार्य में अनवरत आज भी लगे हुए है। आपके द्वारा निकाली जाने वाली कावड़यात्रा में झाबुआ के हजारों भक्त सम्मिलित होकर क्षेत्र के सभी शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते है, यह कावड़यात्रा झाबुआ की सबसे बड़ी कावड़यात्रा है, जिसका स्वागत समस्त हिन्दू समाज करता है। वर्तमान में झाबुआ व आस पास के मालवा निमाड़ के अवैध चर्चों के विरुद्ध धर्मप्रसार विभाग विश्व हिन्दू परिषद के नेतृत्व में बड़ी सफलता प्राप्त हुई है, न्यायपालिका ने इन सभी धर्मान्तरण करने वाले अवैध चर्चों को ध्वस्त करने के आदेश जारी कर दिए है, परन्तु राजनीतिक प्रभाव में इटली नुमा झाबुआ के चर्च का कार्य वापस आरंभ हो गया और अभी तक भी अवैध चर्च बन्द करने या ध्वस्त करने के न्यायपालिका के आदेश पर कोई ठोस कार्यवाही नही हो सकी। सेवा के षड्यंत्र से धर्मान्तरण का कार्य ईसाई मशीनरी द्वारा आज भी झाबुआ सहित मध्यप्रदेश  के बड़े क्षेत्र में जारी है, आवश्यक है की धर्मांतरण के विरुद्ध केंद्रीय कानून बनकर मध्य प्रदेश सहित भारत के अन्य प्रदेशों में भी धर्मांतरण पर पूर्ण रूप से रोक लगे, अवैध चर्चों को तोड़ने का जो न्यायपालिका का आदेश है उसे प्रतिपादित करके सारे अवैध चर्च तोड़े जाएं, धर्मान्तरण करने वाले व उनके सहयोगी सभी संस्थाओं को ध्वस्त करना होगी। तब जाकर हम सभी के आदरणीय स्वर्गीय खूब सिंह जी महाराज के संपूर्ण जीवन समर्पण का उनका धर्म में उद्देश्य पूर्ण होगा यही सच्चे अर्थों में उन्हें मालवा व निमाड़ की वास्तविक श्रद्धांजलि होगी।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश