गांव सुहाना बसाते चलें
नववर्ष हम सब कुछ मनाएँ ऐसे,
नील गगन के आंचल में आदित्य जैसे,
तारागण के बीच सोहे चंद्रमा जैसे,
गोपियों के बीच नाचे कान्हा जैसे.
हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल दें,
निश्चय ही अपना मुकाम मिल जाएगा,
बढ़कर अकेले हम पहल करें,
देखकर हमको काफिला खुद बन जाएगा.
कुछ को भुलाते चलें,
कुछ का स्वागत करते चलें,
रास्ता आसान हो जाएगा,
मंजिल नई पाते चलें.
स्नेह की सरिता बहाते चलें,
प्रेम-गंगा में नहाते चलें,
नए साल में सबके दिलों में,
गांव सुहाना बसाते चलें.