बाल कविता

सागर-महासागर बन जाएं

छोटी-छोटी खुशी से ही ‘गर हम खुश हो जाएं,
खुशियों का भंडार भर जाए, जीवन संवर जाए!
छोटी-छोटी बातों-मुलाकातों पर ग़ौर किया जाए,
शायद वो ही कभी बड़ी उपलब्धि बन जाएं!
छोटी-छोटी हार से निराश क्यों हुआ जाए,
शायद किसी दिन आशा का सूर्य चमक जाए!
छोटी-छोटी उलझन को साहस से सुलझाया जाए,
शायद यही साहस किसी बड़ी-सी उलझन को सुलझा जाए.
छोटी-छोटी भूल से सबक बड़ा सीखा जाए,
छोटी-सी भूल ही जी का जंजाल न बन जाए!
छोटी-छोटी बूंद को कमतर न आंका जाए,
छोटी-छोटी बूंद से ही गागर भर जाए,
सागर-महासागर बन जाएं,
सागर-महासागर बन जाएं,
सागर-महासागर बन जाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244