कविता

कविता

आँखें भरी हैं आँसूओं से – दरद बुहत है हमारे सीने में
तमनाएं मगर क़ायम हैं हमारी – अपनी मरज़ी से जीने में
ग़म ही ग़म बे शक करा रहे हैं – हमारे दरद भरे सीने में
मगर फिर भी अहसास गूंज रहे हैं – हमारे इस ज़माने में
बदल गैया है मिज़ाज मौसम का – देख लो यक ब यक
बहार आ री है देर नही है अब – खज़ाँ के यहाँ से जाने में
सलाम हमारा अैसी मैहफ़िल को – नही जिस में कोई अपना
रंग जिस में छाया हो दूसरों का – देर बुहत हो साक़ी के आने में
फ़रक़ मालूम है अगर आप को – नेकी और बदी की ताहज़ीब में
तो दिकत़ नही हो गी आप को – अछे इनसान को पैहचानने में
सलीक़ा आता है अगर आप को – नज़रों से नज़रें मिलाने का
तो ज़रूरत नही पडे गी आप को – चेहरे को निक़ाबों में छुपाने में
घरइस दुनिया में जिन के बने हुए हों -कचचे शीशे की दीवारों से
विशवास उन को होना नही चाहिये – पथरों के कभी भी फैंकने में
जुरम इस क़दर बढ़ गैया है – आज के इस चमकते हुऐ दौर में
हर शरीफ़ आदमी आज दुनिया में – ढ़रता है धर से बाहर जाने में
मुसकराहट यिह जो फैल रही है – दुनिया में लबों पर हर तरफ़ ‘मदन’
आसार यिह है ज़रूर दुनिया में – किसी बढ़े हादसे के होने में
बे वजाह ही कहीं लग ना जाऐ – कोई तोहमत हमारे सर पर
कोशिश रैहती है हमेशा ही हमारी – अपने आप को बचाने में

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570