मुक्ति है कितनी सुखदाई!
संघर्ष से मिलती है मुक्ति,
मुक्ति के लिए संघर्ष करना,
संघर्ष ही मुक्ति बन जाता,
बड़े-बड़ों का है यह कहना.
मुक्ति की राह कठिन है,
सरल भी बहुत है मगर,
निकलता है अनमोल हीरा,
संघर्ष की भट्टी में तपकर.
रुकावट आती है सफलता की राहों में,
यह कौन नहीं जानता है?
फिर भी वह मंजिल पा ही लेता है,
जो हार नहीं मानता है.
आधी अधूरी बातें मन पर बोझ होती हैं,
किसी से कह दिया करें,
किसकी सुनें कोई कहे तो सही!
किसी की सुन लिया करें.
जब मन से बंधती उम्मीदों की डोर,
होंगे सपने पूरे, कहती है भोर,
ये सपने ही हमें सफलता दिलाएंगे,
उम्मीदें ही तो हैं, जीवंतता का छोर.
पराधीनता में जीकर के,
जीवन बन जाता दुःखदाई,
आजादी जब मिले तो लगता,
मुक्ति है कितनी सुखदाई!