गीत/नवगीत

पैसे से सब खेल है

पैसा ही है, सार जगत का, पैसे से सब खेल है।
पैसे खातिर हत्या होतीं, पैसे हित ही मेल है।।

पैसे से हैं रिश्ते-नाते।
प्रेम गीत पैसे हित गाते।
पैसे के सब संगी साथी,
पैसे से बच्चे बिक जाते।
पैसा देख शादी होती हैं, षड्यंत्रों की रेल है।
पैसा ही है, सार जगत का, पैसे से सब खेल है।।

पैसे से सुविधा मिलती हैं।
पैसे से झांकी सजती हैं।
पैसे से सब स्वारथ पूरे,
पैसे से रमणी रमती है।
पैसे की ही माया देखो, होटल बनती जेल है।
पैसा ही है, सार जगत का, पैसे से सब खेल है।।

पैसा ही है, पति, पत्नी का।
पैसा ही नायक रमणी का।
राष्ट्रप्रेमी है दास प्रेम का,
मोल नहीं कोई दमड़ी का।
पैसा, प्रेमी, तुम्हें मुबारक, निकला हमारा तेल है।
पैसा ही है, सार जगत का, पैसे से सब खेल है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)