कविता

यह वक्त भी बीत जाएगा

 

माना कि आज मेरा वक्त थोड़ा या ज्यादा

जो भी हो मगर खराब है,

पर इसमें अजीब क्या है

वक्त तो चलायमान है, चलता ही रहता है

ये वक्त जो आज है ये भी चलकर ही आया है

जो बीत गया ,वो भी तो चलकर ही गया है

फिर चिंता क्यों करुं?

आना और जाना ये प्रकृति का नियम है

जैसे जीवन और मृत्यु है

और वक्त का आना और जाना।

फिर वक्त अच्छा हो तो गुमान कैसा?

वो भी जायेगा ही, क्योंकि यही वक्त की पहचान है

जब जायेगा तो उससे अच्छा या बुरा ही आयेगा।

मगर आकर फिर जायेगा ही

क्योंकि जाना ही वक्त की नियत है।

इसलिए चिंता से मुक्त रहिए

बहुत खुश भी मत होइए

क्योंकि यह वक्त भी बीत जाएगा

तभी तो आने वाला वक्त आ पायेगा

ये अभी का जो वक्त है,बीते वक्त में बदल जायेगा

आखिर यह वक्त भी बीत जाएगा।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921