ग़ज़ल
जब तलक खून में वो रवानी न हो।
जोश से जो भरी ये जवानी न हो।।
जिन्दगी का न मतलब कोई दोस्तो,
इन आँखों में जब तक ये पानी न हो।।
इश्क करने की अब तो खुआइयिश नही,
काश ये फिर से हमसे नादानी न हो।
अब तो मरना ही होगा वतन के लिए ,
सड़को पे धुलमिल ये जवानी न हो।
दिल को अपने भी अब परिंदा करो।
भूल जाये जिसे वो कहानी न हो।।
— वीणा चौबे