रगड़े झगड़े खींचा तानी मारा मारी काए कू
रगडे झगडे खीचातानी मारा मारी काए कू
कर रक्खा है अपने ऊपर शैतां भारी काए कू
दो गज कपड़ा नौ मन लकड़ी काफ़ी अंतिम कारज को
नाहक जोड़ रहा है दौलत इतनी सारी काए कू
हो नुकसान नफ़ा जिसका आधार सरासर धंधा है
धंधे को तू मान रहा है रिश्तेदारी काए कू
ख़ुदगर्ज़ी रिश्तों से लेकर यार सलाह मुसीबत में
अपने मर्ड़र की ही ले लूँ आप सुपारी काए कू
ईन्सां का लालच यदि अपनी हद को पार नही करता
दुनिया में आती कोरोना सी बीमारी काए कू
जिन आँखों ने उनके सपने देखे अपनी आँखों में
उन अपनो ने दे दी आँखों में लाचारी काए कू
बंसल सच ही जीतेगा जब है मालूम तुझे तो फ़िर
पाल रखी है फ़ितरत में इतनी अय्यारी काए कू
सतीश बंसल
२२.०२.२०२३