कविता

ज़लनखोरी

मुझे बहुत ज़लनखोरी होती है
उसको बहुत सफ़लता मिलती है तो
उसपर मां लक्ष्मी की कृपा होती है तो
समाज में उसका मान सम्मान बढ़ता है तो
मुझे बहुत  ज़लनखोरी होती है
उसका आर्टिकल कविता बहुत पेपरों में छपते हैं तो व्हाट्सएप फेसबुक में उसकी तारीफ़ होती है तो
उसकी पोस्ट को बहुत लाइक मिलती है तो
मुझे बहुत ज़लनखोरी होती है
मैं संस्थापक हूं मुझे कोई पूछता नहीं है तो
पेपरों में मेरा नाम नहीं आता है तो
मेरे स्वार्थी सेवाओं का मूल्यांकन नहीं होता है तो
मुझे बहुत ज़लनखोरी होती है
दोस्तों से उसकी पोस्ट बंद करवाने बोलता हूं तो
एडमिन उसके समर्थन में आ जाता है तो
उसकी वैल्यू और अधिक बढ़ गई है तो
मुझे बहुत ज़लनखोरी होती है
मेरा क्या होगा वह आगे बढ़ जाएगा तो
मेरी चोमारी नहीं चलेंगी तो
मेरा क्या होगा इसलिए तो
मुझे बहुत ज़लनखोरी होती है
— किशन सनमुख़दास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया