मद होश अकेले हम ही तो नही हूए – मुहबबत में आप की
रूह हमारी भी तो शामल है साथ में – मुहबबत में आप की
आबाद हो जाईये आप आ कर – हमारे दिल के पैहलू में
गुज़रती ही नही अब तो यिह रातें – जुदाई में हम से आप की
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दुख बुहत ही दे रही हैं हमें यिह – दरद भरी यादें आप की
जला दें गे हम यिह सारे ख़त – और सारी तसवीरें आप की
अनजाम आख़र यिह ही होना था – हमारी नाकाम चाहतों का
पुर नम आँखों से हमारी हम तो – गुनगुनाते हैं बातें आप की
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वफ़ा हम से निभाई नही आप ने – चलो कोई बात नही है
भूल कैसे गैए आप हम को ही – हैरत हमें तो है इस बात की
नही मिले गा अब कुछ भी आप को – राख के इस ढ़ेर में
जला दिये हैं सारे काग़ज़ जिन पर – लिखी थी कहानी आप की
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शौक़ तो आप को भी है बुहत – दिल हम से मिलाने का
मगर मजबूर हैं आप तो बुहत – पाँ में शरम की ज़नजीर है
शरीक हो नही सकते आप तो – हमारी किसी भी ख़ुशी में
हुसन और मुहबबत की यिह है – सची तसवीर ही आप की
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इक़रार एक अैसा था हम दोनों – की ज़िनदगी के बीच में –मदन–
नही कहे गा कोई भी किसी से – राज़ मुहबबत के आप की
भरी मेहफ़िल में ज़ाहर कर दिये – राज़ मुहबबत के आप ने
यिह कैसे हो गैया आप से – कैसे बदल गैई फ़ितरत ही आप की