कविता

नारी जन्नत की परिभाषा

नारी जन्नत की परिभाषा।
नारी पीढी की अभिलाषा।
नारी मन्दिर में जैसे ज्योति।
नारी समता से भरी गोदी।
नारी शीतल नीर समन्दर।
नारी सचखण्ड में हरिमन्दिर।
नारी धरती नारी अम्बर।
नारी सुखमणि दुख अन्दर।
नारी शुभ मंगल अभिवादन।
नारी मारूस्थल में सावन।
नारी अग्नि नारी मंजर।
नारी दुश्मन के लिए खंज़र।
नारी सत्यम सुन्दरम शक्ति।
नारी पूजा नारी भक्ति।
नारी बंदनवार है दर पर।
नारी कृपा दृष्टि घर पर।
नारी ज्यों खिलती खुशहाली।
नारी सारे जग की वाली।
नारी बहता दरिया है पर
नारी चढ़ती बाढ़ का डर।
नारी मंगल कलश प्यारा।
नारी प्रभ का रूप न्यारा।
नारी से है यह संसार।
नारी से है सब भण्डार।
नारी कोमल गंदल जैसी।
नारी खुशबू चंदन जैसी।
नारी लता मुहोब्बत वाली।
नारी फूलों से लदी डाली।
नारी सर्वकला सम्पन्न।
नारी अर्पण नारी दर्पण।
नारी सारे जग की जननी।
नारी ज्यों दीपक की अग्नि।
नारी अमृत पाक पवित्र।
नारी सब से सच्चा मित्र।
नारी बालम है नारीश्वर।
नारी धर्म परम अखिलेश्वर।
— बलविन्दर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409