मुक्तक/दोहा

मुक्तक

सभी करने के आदी हैं, फकत बाजार की बातें
किसी लब पर कहां अब, प्यार औ मनुहार की बातें
अजीजों का भी अन्दाज-ए-वयां, इस तौर बदला है
नहीं अपनी रहीं, होने लगीं, संसार की बातें
— समीर द्विवेदी नितान्त

समीर द्विवेदी नितान्त

कन्नौज, उत्तर प्रदेश