कविता

चलो ख्वाब सजाते हैं

चलो सपनों में हम खो जायें
ख्वाबों में एक दुजे के खो जायें
ख्वाब सजायेगें  सपनों में हम तुम
चुपके से जुल्फों में छुप जायें गुमसुम

परिन्दा की तरह उड़ जाना है जानम
नीला अम्बर होगा अपना घर  सनम
बादल के बीच बस जाना है     कब
तेरा ईशारा हो जायेगा        जब जब

कोई शिकवा ना हो कोई शिकायत होगा
अपना रिश्ता तब कयामत तक     होगा
जन्म जन्म का हम तुम हैं अब     साथी
जैसे दीपक संग जलता हो कोई   बाती

हॅसहँस कर दुःख सुख हम जी      लेगें
तेरे बाँहों में छुपकर गम भी पी       लेगें
नदियों की प्रवाह होगी जीवन की।   धारा
जो चट्टानों से टकरा कर भी वो कब हारा

हर पत्थर से तब हम दोनों टकरायेगें
हर जुल्म खता हम संग सह जायेगें
एक दुजै के लिये पाया है यह तन मन
संग साथ मरेगें जी लेगें हम तुम जीवन

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088