गीत/नवगीत

होली गीत “छाया है उल्लास, चलो होली खेलेंगे”

मन में आशायें लेकर के,
आया हैं मधुमास, चलो होली खेलेंगे।
मूक-इशारों को लेकर के,
आया है विश्वास, चलो होली खेलेंगे।।

मन-उपवन में सुन्दर-सुन्दर, सुमन खिलें हैं,
रंग बसन्ती पहने, धरती-गगन मिले हैं,
बाग-बहारों को लेकर के,
छाया है उल्लास, चलो होली खेलेंगे।

सरिता का सागर में, ठौर-ठिकाना सा है,
प्रेम-प्रीत का मौसम, बड़ा सुहाना सा है,
शोख नजारों को ले करके,
आया है दिन खास, चलो होली खेलेंगे।

सपने जो देखे थे, वो साकार करेंगे ,
बैर-भाव को भूल , लोग अब प्यार करेंगे,
चाँद सितारों को ले करके,
आया है आकाश, चलो होली खेलेंगे।

सुन्दर है संगीत, मिलन का गीत सुनाओ,
त्योहारों की रीत, गले से अब लग जाओ,
नेक विचारों को लेकर के,
जाओ सबके पास, चलो होली खेलेंगे।

खुशियों की सौगात लिए, होली आयी है,
चाँदी जैसी रात लिए, होली आयी है,
सूर्य उजाला लेकर के,
लाया है धवल प्रकाश, चलो होली खेलेंगे।

— डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

*डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

एम.ए.(हिन्दी-संस्कृत)। सदस्य - अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,उत्तराखंड सरकार, सन् 2005 से 2008 तक। सन् 1996 से 2004 तक लगातार उच्चारण पत्रिका का सम्पादन। 2011 में "सुख का सूरज", "धरा के रंग", "हँसता गाता बचपन" और "नन्हें सुमन" के नाम से मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। "सम्मान" पाने का तो सौभाग्य ही नहीं मिला। क्योंकि अब तक दूसरों को ही सम्मानित करने में संलग्न हूँ। सम्प्रति इस वर्ष मुझे हिन्दी साहित्य निकेतन परिकल्पना के द्वारा 2010 के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार के रूप में हिन्दी दिवस नई दिल्ली में उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमन्त्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सम्मानित किया गया है▬ सम्प्रति-अप्रैल 2016 में मेरी दोहावली की दो पुस्तकें "खिली रूप की धूप" और "कदम-कदम पर घास" भी प्रकाशित हुई हैं। -- मेरे बारे में अधिक जानकारी इस लिंक पर भी उपलब्ध है- http://taau.taau.in/2009/06/blog-post_04.html प्रति वर्ष 4 फरवरी को मेरा जन्म-दिन आता है