कविता

आओ हिलमिल खेलें होली

होली का खूबसूरत मौका भी है दस्तूर भी
आओ मिलकर होली खेलें
प्रेमरस का बदरंग रंग इसमें घोलें।
भ्रष्टाचार का मिलावटी रंग मिलाकर
ईमानदारी का ढिंढोरा जोर जोर से पीटें
गांधी जी का नाम बेशर्मी से खराब करें,
भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबकर
संत बन जनता को गुमराह करें।
खुद को मजलूम, मजबूर होने का रोना रोकर
संवेदनाओं का भंडार भरें।
अपने आपराधिक चरित्र छिपाने के लिए
घड़ियाली आंसू सरेआम उड़ेलें।
लोगों की भीड़ एकत्र कर खूब उकसायें,
शान्ति के शहर में अराजकता का माहौल बनाएं।
रंगों के नाम पर कीचड़ उछालने का
मौका अच्छा है, जी भरकर उछालिए
खुद तो भ्रष्टाचार, अपराध, बेईमानी की
गंगोत्री में डुबकी लगा ही रहे हैं
जो गंगा में नहाकर पाक साफ हैं
उनको भी नापाक कीजिए,
अपनी बिरादरी में शामिल कीजिए।
होली के अवसर का बेहतर उपयोग कीजिए
अपराध कीजिए,सजा पाकर जेल जाइए
जेल में कद, पद, शोहरत की आड़ में
जन्नत का आनंद लीजिए,
एकदम नई संस्कृति को जन्म दीजिए
आशाराम, राम रहीम, रामपाल के पदचिन्हों पर
सबको चलने का संदेश दीजिए
होली है भाई होली है, रंग बिरंगी होली है
बुरा न मानो होली है।
होली पर मेरी सलाह पर आप भीअमल कीजिए
जितना बदनाम होंगे, उतने ही हमारे नाम होंगे
होली पर रंग घोलिए न घोलिए
त्योहारों को भी खूब बदनाम कीजिए।
प्रेम रंग की आड़ में इतना तो काम कीजिए,
राष्ट्र, समाज को खूब बदनाम कीजिए
होली त्योहार का बेहतर उपयोग कीजिए
प्रेम रस रंग भरने के इस अवसर का लाभ उठाइए
राष्ट्र समाज लोग जायें भाड़ में
गंदगी के दलदल में दरबार लगाइए।
होली के बहाने प्रेम रस घोल कर समय न गंवायें,
मौका है तो मौके फायदा उठाइए
होली का खूबसूरत बहाना बनाइए
रंगों के त्योहार का आनंद उठाइए
भाईचारा, ईमानदारी का दुनिया को पैगाम सुनाइए
जितना हो सकते है उतना बदनाम हो जाइए
और खूब नाम कमाइए
जीवन खुशहाल बनाइए
होली त्योहार मिलजुल कर मनाइए
अपनी फितरत से न बाज आइए।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921