गीतिका
ये जिन्दगी देती जहर उसको पिया हमने
जो जख्म वो देकर गया उसको सिया हमने
वो लूटते हैं और वो देते हमें धोखा
धोखे सहे लेकिन नही शिकवा किया हमने
हम जानते हैं वो हमारा छीन लेगा सब
फिर भी उसे अपना बना अपना लिया हमने
हमने निभायी दोस्ती तुझको बचाया है
अहसान तेरा अब बराबर कर दिया हमने
तू ए जमाने क्या हमें इल्जाम देगा अब
जब बिन गुनाहों के सजा को पा लिया हमने
चाहें मिले दुख या मिले कोई खुशी हमको
ए जिन्दगी तुझको सदा हँस कर जिया हमने
कुछ रंग फीके हैं मगर होली मनायेगें
त्योहार को जिन्दादिली से ही जिया हमने
— शालिनी शर्मा