होली प्यार वाले रंग से
दिल ने ये कहा है दिल से, होली प्यार वाले रंग से।
बढ़ती जाये बेकरारी, थोड़ा सा करार ले लो,
होली आई रंगों वाली, हाथों में गुलाल ले लो।
मैं भी दिल से होली खेलूं ,
तुम भी दिल से होली खेलो।
दिल ने ये कहा है दिल से,
होली प्यार वाले रंग से।
होलिका दहन कर चुके हैं हम, फिर बुराई है क्यों ,
भाई चारे का एक मजहब है, फिर लड़ाई है क्यों
मज़हब जातियों को छोड़ो,सारे साथी संग ले लो
होली भाभी संग खेलो, होली साली संग खेलो।
पाड़ोसी न हो जो घर में,पड़ोसन से जाके बोलो
मैं भी दिल से होली खेलूं , तुम भी दिल से होली खेलो।
चंद लम्हों की जिंदगानी है क्यों समझते नहीं,
जिंदगी जैसे बहता पानी है क्यों समझते नहीं?
ठंडाई गिलास पी लो, अपनी जिंदगी को जी लो,
फिर भी मन अगर मानें , थोड़ी भांग घोट पी लो।
जो भी दिल में है तुम्हारे, दिल से दिल की बात बोलो।
मैं भी दिल से होली खेलूं , तुम भी दिल से होली खेलो।
— प्रदीप शर्मा