दर्शनीय स्थलों की जन्नत है ऊटी
ऊटी दर्शनीय स्थलों की जन्नत है। पैर पैर पर ख़ूबसूरती अपनी परिभाषा स्वंय कहती है। ख़ूबसूरती प्राकृतिक शक्ति तथा मानवीय उद्यमों का इतना मर्मस्पर्शी मिश्रण है कि सुन्दर दृश्य आँखों के माध्यम से हृदय के उतर कर आनंदविभोरता का अहसास दिलाते चले जाते हैं। यहां पहाड़ों की चोटी से गिरते दिलकश निर्झर, सीढ़ियांदार लम्बे-चौढे चाय के बगान, हरियाली का आंचल लहराते पर्वत, सुन्दर फूल, झीलें, मनमोहक पार्क, पहाड़ी रेल मार्ग, तरह-तरह की श्रेणी के पौधे वृक्ष फूलदार झाड़ियां, बहते दरिया आदि ऊटी की सुन्दरता को चार चांद लगाते हैं।
ऊटी का समीपतम हवाई अड्डा कोयंबटूर पड़ता है। जो लगभग एक सौ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा बेंगलूर, चेन्नई तथा मुंबई से जुड़ा हुआ है। ऊटी की सुन्दरता के दृश्य देखने हो तो आप को मेट्टू पलायम से कुन्नूर होते हुए छोटी ट्रेन कम स्पीड में जाती है जिस से दृश्य देखने का मज़ा आ जाता है।
ऊटी बस, टैक्सि द्वारा आया जाता है। यहां शहर में बस, टैक्सि तथा आटोरिक्शा की सुविधा उपलब्ध है। ऊटी में घूमने का बढ़िया समय फरवरी से जुलाई तथा नवम्बर माह है। इन माह में मौसम अच्छा होता है। यहां लगभग 125 सैंटीमीटर तक बर्फ पड़ जाती है। बर्फबारी के दिनों में पर्यटक खूब आनंद उठाते हैं। गर्मियों में यहां का अधिकतम तापमान 25 डिग्री तथा न्यूनतम 10 डिग्री सैल्सियस होता है तथा सर्दीयों में अधिकतम तापमान 22 डिग्री तथा न्यूनतम 6 डिग्री सैल्सियस तक रहता है।
ऊटी में कई भाषाएं बोली जाती हैं, परन्तु विशेषतौर पर मलयालम, हिन्दी, कन्नड, अंग्रेजी, तमिल आदि भाषाएं बोली जाती हैं। ऊटी में ठहरने के लिए सस्ते तथा महंगे होटल मिल जाते हैं। गेस्ट हाऊस, सिराएं, होटल आदि भी मिलते हैं। यहां सभी प्रकार के व्यंजन मिल जाते हैं। जेब के हिसाब से आप खा पी सकते हैं।
मद्रास के गवर्नर लार्ड वैन लॉक द्वारा स्विस कलाकारी का रेल मार्ग बनवाया गया था। ऊटी बागान के लिए मशहूर है। इसलिए बनस्पति उधान की नींव क्यू गार्डन की श्री जॉनसन ने रखी थी। वे अपने साथ इग्लैंड से तरह-तरह के पेड़ पौधे लाए थे। यहां की केसरी रंग की मिट्टी बहुत उपजाऊ समझी जाती है जिसमें सभी प्रकार के फूल बोए जा सकते हैं।
नीलगिरी पर्वत की गोद में बसा यह अत्यंत सुन्दर स्थल दक्षिण भारत के प्रमुख पर्वतीय स्थलों में एक है। समुद्र तल से इस की ऊंचाई लगभग 2240 मीटर है। ऊटकमंड से ऊटी नाम प्रचलित हुआ।
ऊटी में देश विदेश के लोगों का तांता लगा रहता है। छुट्टियों में यहां घूमने का, पिकनिक मनाने का, बर्फ से ढकी पहाड़ियों को देखने का, सांप की भांति बल खाती पहडंडियां देखने का, बहते दरिया,ढलानों वाले खिलौने जैसे घर, विभिन्नता समेटे सुमन, तथा अनेक नजारों की ममता लिए अति सुन्दर ऊटी जन्नत की पर्याय हो जाती है। हनीमून मनाने वाले यहां से लाखों खुशियां, लाखों नजारे लूट कर साथ ले जाते हैं। घुड़ दौड़ तथा कई अन्य क्रीड़ा-क्रियाएं रोमांच पैदा करती हैं।
यहां एक ललित कला अकादमी आर्ट गैलरी है जो उद्मंडलम से दो किलोमीटर दूरी पर है। जिस में प्रसिद्ध कलाकारी की पेटिंग्स तथा सकल्पचर्स उपलब्ध है।
यहां के पार्क बहुत सुन्दर तथा सुविधापूर्वक हैं। यहां विभिन्न फूलों की मिश्रण सुरभ्यिां मन को भाती हैं। आंखों की संतुलित खुराक होते हैं सुन्दर रंगो वाले फूल। इन पार्कों में बच्चों के मनोरंजन के लिए सभी सुविधाएं (जुटाई) हुई हैं।
यहां की झील, जैसे किसी चित्रकार ने सुन्दर चित्र बनाया हुआ हो। झील के मोटर बोट, पैंडल बोट आदि का लुत्फ उठाने का अलग ही तजुर्बा होता है। ख़ास करके बच्चे, नई-नई जिज्ञासा, नए नए प्रयोगों व तजुर्बों से जुड़ते हैं तथा उन की मस्तिष्कि सीड़ी में बढ़ौतरी होती है। बौधिक ज्ञान में रौशनी बड़ती है और विवेकता में ताजापन आता है।
यहां का मशहूर बोटेनिकल गार्डन है जो लगभग 22 एकड़ में फैला हुआ है और यहां लगभग 700 किस्म के तरह तरह के फूल, झाड़ियां, पौधे आदि पाए जाते हैं। यहां पर प्रत्येक वर्ष समर फैस्टिवल भी करवाया जाता है, साथ ही साथ संस्कृतिक कार्यक्रम करवाया जाता है। और क्या बात है यहां के रोज गार्डन की। इसे 1995 में बनवाया गया था। इसमें लगभग 210 किस्म के गुलाब पाए जाते हैं। इन गुलाबों की सुरभि सारे वातावरण में इत्र घोलती चली जाती है।
ऊटी के आस पास देखने वाले कई स्थान हैं, खास करके नीलगिरी अम्बर, छूहती चोटी, जो 2636 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां से दूर-दूर के शहरों का नजारा देखने को मिलता है। कालहट्टी जल प्रयात, 100 मीटर ऊंचा है। डाल्फिंस, कोटा गिरी तथा वाइल्ड लाइफ सैक्चुरी आदि स्थान देखने योग है। यहां तरह-तरह के पक्षी, पशु भी जाए जाते हैं।
ऊटी भारत के सुन्दर अति सुन्दर पर्वतीए स्थलों में से एक है। यहां ख़ूबसूरती अपनी दिव्य शक्ति के सुमन बिखेरती है। आप भी जाएं बच्चों के साथ ऊटी।
— बलविन्दर बालम