संबंधित लेख
तुलसीदास और….
सिर्फ़ दरवाजे या बाल्कनी में ही नहीं, एक ‘दीया’ अपने अंतर्मन में भी जलाकर खुद को निष्कपट रखिये ! ×××× तुलसीदास पत्नी द्वारा प्रताड़ना के कारण स्त्री विरोधी हो गए क्या ? कि उन्होंने सभी नारियों को ताड़ना की अधिकारिणी बताए हैं ! ×××× ‘सीताराम केसरी’ ने जिस उम्मीद से ‘शिष्य’ को कटिहार लाये थे, […]
आपाधापी के कूप में
गर्मी का मौसम आते ही बहाता है पसीने के पनारे सर्दी का मौसम अपनी मौजूदगी दर्ज़ कराता है दांत कट-कटाकर प्यारे वर्षा रानी प्रेम से अपने साथ लाती है आनंद-जल के धारे, लेकिन, बसंत ऋतु आती है दबे पांव महज खामोशी के सहारे. बसंत आते ही प्रकृति संवर जाती है रंगबिरंगे फूलों […]
पति-पत्नी
जीवन पति -पत्नी का नहीं चलता ये एक सीधी रेखा में दोनों के बीच वाचा के उग्रबाण होते है जो रूपांतरित होते है ये रूपांतरण हमेशा धनात्मक होता है भरता है उन्हेंएकात्मकता व आनंदोत्सव में प्रेम को प्रखर करता है तरंग -आवृत में स्पंदन बदल देता हैआनंदोत्सव वसंतोत्सव में