सूरज देखे नेह से
सूरज इनके साथ है , चंदा उनके हाथ ।
हमको तो तारे भले , रहे सदा सिर-माथ ।।1
भँवरों ने गाये बहुत , जब कलियों के गीत ।
कली-फूल उनके हुए , काँटे अपने मीत।।2
कोयल कूके बाग में , सजे आम पर बौर ।
ये सुधियों की तितलियाँ , करें हृदय में ठौर।।3
सूरज देखे नेह से , लेकर नया विहान ।
कलियों के मुख पर सजी , मधुर-मधुर मुसकान।।4
मस्ती में झूमे सुमन , पंछी करते शोर
भँवरे गुनगुन गा रहे , आई सुन्दर भोर।।5
सुलझे डोर पतंग की, सुलझे उलझी बात
उलझे नैना क्या कहूँ, लें दिल की सौगात ।6
आकर्षण बस देह का , कहें प्रेम का रोग
पावन-आराधन उन्हें, जिन्हें न केवल भोग।7
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा