आशा की किरण
एक जंग है मानव की जीवन
टुट जाता है जग में ये तन मन
जब कहीं ना होता इसका उपचार
आशा की किरण लाती है उपहार
हर लम्हा कायनात का होता है शातिर
पग पग पे मौन बैठा है हो कातिल
जब टुट जाती है जीवन की हर द्वार
आशा की किरण दे जाती है उपहार
मन में आशा की किरण हो प्रफुल्लित
नई उमंग नई उर्जा से हो तब पोषित
जीवन में होता तब नव जीवन संचार
आशा की किरण लाती है उपहार
नाकारात्मक उर्जा जब मन में आता
विपदा को आमंत्रण दे चला जाता
फिर भी मानव क्यूं है इससे अनजान
आशा की किरण दे जाती है पैगाम
मन में उठता है जग का ज्वार भाटा
डूब जाता है रसोई का भी ऑटा
जब दीख जाती है रोशनी व प्रकाश
आशा की किरण पहुँचाती है आकाश
— उदय किशोर साह