कहानी

कहानी – संभावना

रीता और सुनील के काजल इकलौती सन्तान थी.उसको बहुत अच्छे  संस्कार दिए. दोनों को उसको पर बहुत नाज था कहते थे, ” जिस घर जायेगी उसको स्वर्ग बना देगी”. काजल पढ़ने में होशियार होने के साथ साथ घर के काम में भी निपुण थी. हमेशा दूसरों की सहायता करती थी वह सबकी बहुत प्यारी थी. कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते ही काजल की शादी की चिंता होने लगी. बेटी की शादी के लिए  घर वर दोनों अच्छे होने चाहिए इसी बात को लेकर दोनों चिंतित रहते थे.घर की आर्थिक हालत ज्यादा ठीक नहीं थी. एक दिन रीता और सुनील बात कर रहे थे ” कि हम काजल के लिए ऐसा घर देखेगें जो भले ही गरीब हो लेकिन अच्छा परिवार हो जहाँ हमारी बेटी खुश रह सके” राघव एक सरकारी स्कूल में अध्यापक था. उसके घर में माता पिता और एक छोटी बहन थी राघव के ऊपर ही घर की सब जिम्मेदारी थी. राघव के माता पिता भी एक संस्कारी और गुणवान लड़की की तलाश में थे. वह दहेज विरोधी थे उनके दोस्त ने राघव के लिए काजल का रिश्ता बताया दोंनो परिवारों में बातचीत हुई.
काजल और राघव ने एक दूसरे को पसंद कर लिया और रिश्ता पक्का हो गया. दहेज की कोई मांग नहीं थी. सब बहुत खुश थे एक महीने बाद शादी हुई पहले ही दिन राघव ने काजल से कहा ” मेरे पास भले ही ज्यादा पैसा नहीं है लेकिन मैं तुम्हें हमेशा प्रेम आदर और सम्मान दूँगा किसी चीज की कमी नहीं होने दूँगा” यह बात सुन काजल खुशी से फूली न समाई.
समय बीतता गया  एक दिन राघव का कार से एक्सीडेंट हो गया. उसके पैर में चोट आने की वजह से वह चल भी नहीं पा रहा था. डॉक्टर ने बोला “राघव के चलने की संभावना कम है. यह सुन सभी लोग बहुत घबरा गए. राघव ही अकेला कमाने वाला था.  घर का खर्च चलाना काजल के लिए मुश्किल हो गया जैसे तैसे कर काजल से सम्भाल रही थी. राघव से कहा “घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चल रहा है अगर आप मुझे सर्विस करने की इजाजत दें तो मुझे स्कूल में सर्विस मिलने की संभावना है.राघव बोला “अगर तुम्हें सर्विस करनी है तो कर सकती लेकिन घर की जिम्मेदारी भी अब तुम है.अगर दोनों को तुम सम्भाल सकती हो तो मुझे कोई एतराज नहीं है ” काजल बोली ” इसकी आप चिंता मत कीजिये”
काजल ने एक स्कूल में अध्यापक की सर्विस के लिए आवेदन किया उसको पूरी संभावना थी.यह सर्विस उसको जरूर मिल जाएगी. हुआ भी यही उसकी सर्विस लग गई वो राघव की देखभाल के साथ घर के काम की जिम्मेदारी अच्छे से निभा रही थी.
यह देखकर काजल और राघव के माता पिता बहुत खुश हो रहे थे. इधर राघव भी पकड़कर चलने की कोशिश करने लगा. उसकी यह कोशिश देख काजल को भी उसके ठीक होने की उम्मीद दिखने लगी. डॉक्टर को दिखाया बोला “राघव के पैर ठीक होने की भी सम्भावना भी दिख रही है. डॉक्टर ने उसको घर पर ही एक्सरसाइज करने की सलाह दी. काजल ने उसको एक्सरसाइज करवाने की साथ.साथ चलाने में भी मदद की.
दो महीने बाद राघव ठीक हो गया और काजल को उसने बोला “तुम्हारी वजह से ही मुझे पैर ठीक और चलने की संभावना दिखी, नहीं तो मैने तो चलने की उम्मीद ही छोड़ दी थी”  काजल ने कहा ” ये आपका विश्वास ही है जो आप आज चल पा रहे है. मैंने तो आपको ठीक होने में मदद की है जब हमें खुद पर विश्वास होता है हम असंभावना को संभावना में बदल सकते हैं”फिर दोंनो एक दूसरे को देखकर मंद मंद मुस्कान लगते है आज राघव और काजल दोनों सर्विस करने जाते है.और अपने परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी बसर कर रहे है.

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश