ग्राम अल्लाबख्शपुर का नाम प्रभुपुर करवाने की गुहार
स्वतंत्र लेखक डी. एस. पाल, युवा भाजपा नेता जीतेन्द्र पाल एवं ग्रामवासी हिन्दुओं का कहना है की देव नगरी गढ़मुक्तेश्वर (गंण मुक्तेश्वर) और मिनी हरिद्धार (बृजघाट) जैसे हिन्दू धार्मिक स्थलों में अल्लाबख्शपुर जैसे इस्लामिक नाम शौभा नहीं देते। जब देश का विभाजन दो धर्मों (एक धर्म एक मजहब) के नाम पर हो गया था और 1947 में देश को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी मिल गई थी तो ऐसे सभी क्षेत्रों के नामों को जो इस्लामिक और अंग्रेजी आक्रांताओं ने अपने शासन काल में बदल दिए थे, उनको उनके पुराने नामों में उसी समय बदल दिया गया होता तो आज हजारों-हजारों वर्ष पुराने हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) और उसकी भूमि पर एक-दो हजार वर्ष पुराने मजहब अपना हक़ ना बताते और ये देश हिन्दुओं का होता। ये जिम्मेदारी 70 वर्षों से शासन करती आ रही सरकारों की थी जो उन्होंने नहीं निभाई और भारत के हिन्दुओं के साथ निरंतर छल किया, जिन्होंने उन्हें निरंतर सत्ता इसलिए सौपीं ताकि सनातन की सर्व हितैषी, सर्व कल्याणी परम्परा पुनः विश्व में फैले और आक्रांताओं का नामों निशा इस भारत भूमि ही नहीं अपितु विश्वभर से मिट सके। ये धरा पुनः सुख-शांति, समृद्धि, आरोग्य देने वाली बने। सब जीवों के कल्याण वाली बने। सब जीवों के लिए सुखद बनें। परन्तु सत्ताओं ने न जाने किन स्वार्थों हेतु ये नहीं किया। इस देश को निरंतर छला जिसके कारण आज 75-80 करोड़ हिन्दुओं के पास कहने को एक देश नहीं हैं, इसपर भी दूसरे मजहब अपना हक़ जमा रहे हैं।
जो मानवता के लिए बहुत बड़ा खतरा है। जिन मजहबों के पास अनेक देश हैं, उनमें उनके सारे नियम कायदे कानून चलते हैं फिर क्यों वो इस देश पर भी अपना हक़ जमाना चाहते हैं। उनकी क्या मंसा है जो निरंतर इस इस भारत भूमि पर कब्जा करने की फ़िराक में लगे है और यहाँ के लोग भी उनके इस एजेंडे में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। जिनके दादा परदादा किसी कारणवश उन मजहबों में चले गए थे, क्यों वो वापस आना नहीं चाहते? उनके दादा परदादाओं की मजहबों में जाने की क्या मजबूरियां थीं ये तो वो ही जाने परन्तु आज उनकी संतानों के सामने ऐसी कोई मज़बूरी नहीं है, जिसके कारण वो पुनः अपने मूल धर्म सनातन में न आ सकें। जान बूझकर गलत रास्ते पर चलते रहने से मंजिल कभी नहीं मिलती। जब सही मार्ग का पता चल गया हो तो सही मार्ग पर लौट आने में ही सबका हित है। सबका कल्याण है।
ये देश हिन्दू राष्ट्र तभी बन पायेगा जब मुगलों और अंग्रेजों जैसे आक्रांताओं का नामों निशा इस धरा से मिटा कर पुनः सभी क्षेत्रों का मूल नाम उनको दिया जायेगा। ये देश को हिन्दू राष्ट्र की ओर ले जाने वाली पहली सीढ़ी होगी।
इसलिए इसकी पहल करना अति आवश्यक है और ये कार्य तीव्रता से किया जाना चाहिए क्योंकि इस देश पर इस देश के शत्रुओं की कुदृष्टि बहुत पैनी है और वो इसे अपनी जागीर समझ रहे हैं। उनके इस स्वप्न को तोड़ना होगा।
ये धरा हैं उन वीरों की जो अधर्म को ललकारे हैं।
ये धरा है उन वीरों की जो रावण, कंश को मारे हैं।
— डी. एस. पाल