सामाजिक

गड़रिया समाज का क्या रिश्ता है मीरा पहलवान (जैन खां) से

इस्लामिक आक्रांताओं ने सनातन को मिटाने के लिए तरह-तरह के हत्कंडे अपनाये और हिन्दू स्त्रियों को दूषित करने हेतु नए-नए नियम (जजिया कर) हिन्दुओं पर हिन्दू बने रहने हेतु लागु किये, जो इस कर (जजिया) को चुका पाने में असमर्थ रहा, उनकी स्त्रियों का शोषण किया। पुरुषों की हत्याएं कीं। जिसके भी से आज भी लोग उन दरिंदों के जाने के पश्चात् उस प्रथा नियम को ढो रहे हैं। गड़रिया समाज पर भी हिन्दू बने रहने हेतु इस्लामिक आक्रांताओं ने एक नियम लागु किया था। जिस परिवार में भी लड़के की शादी होगी उसकी दुल्हन फेरों के बाद उस क्षेत्र के मुस्लिम शासक के घर जाएगी और एक दो दिन उसके साथ में रहेगी वो जो चाहे उसके साथ कुकर्म करेगा। फिर उस लड़के के घर जाएगी जिससे उसकी शादी हुई है।

ऐसा ही नियम इस्लामिक शासक द्वारा कश्मीर में बाल्मीकि समाज पर भी लगाया गया था। जिससे बाल्मीकि समाज ने बड़ी ही चालाकी से अपना पीछा छुड़ा लिया था और अपनी स्त्रियों को इस्लामिक आक्रांताओं के शोषण से बचा लिया था। सभी इस्लामिक शासक सुवर से बहुत अधिक घृणा करते थे। इसलिए बाल्मीकि समाज ने सुवर पालना प्रारम्भ किया और अपने घर की शादी में सुवर का मास बनाना शुरू किया और अपनी पुत्री जिसकी शादी होती थी उसके दोनों पैरों में सुवर के खून का लेप करना शुरू किया और वो खून दुल्हन के सुसराल में जाने के बाद ही साफ़ किया जाता था। जब ये बात कश्मीर के मुस्लिम शासक को पता चली तो उसने बाल्मीकि समाज की स्त्रियों का शोषण बंद कर दिया।

परन्तु गड़रिया समाज उनके चले जाने के बाद आज भी उन आक्रांताओं के नियमों को शान दे ढो रहा है। ये समाज निर्लज्जता की सारी सीमा लाँघ गया है। क्या अपनी स्त्रियों के सम्मान को इस्लामिक आक्रांताओं के उस मक्क्ड़जाल से आज भी गड़रिया समाज बचा पाने में असमर्थ है? ये अज्ञानता है, मूर्खतापन है, जो आज भी उनके नियमों को ये समाज ढो रहा है। घर परिवार पर जब भी कोई आपदा आती है तो गड़रिया समाज के बुजुर्ग लोग एवं धर्मगुरु बोलते हैं मीरा नाराज है। मीरा बिचल रहा है। बकरा मांग रहा है। बकरा चढ़ाना पड़ेगा। उसकी जात लगानी पड़ेगी। तभी काम बन पायेगा। जिस समाज के इष्ट देव भगवान शिव हों क्या उस समाज पर कोई पीर फ़क़ीर मर जाने के बाद भी अपना जाल फैंक सकता है? नहीं ऐसा बिल्कुल भी सम्भव नहीं है। हमारे डरे हुए कुछ पूर्वजों द्वारा हमारे मन में एक डर बना दिया गया है। जो प्राणी धर्म से विमुख हो जाता है, उससे सभी देवता और उसके पूर्वज नाराज हो जाते हैं और भगवान उसके विरुद्ध हो जाते हैं, उसपर विपदाओं का यही कारण है। इसलिए सर्व समाज से मेरी ये प्रार्थना है अपने इष्ट देव की और अपने 33 कोटि देवी देवताओं की पूजा और अपने पूर्वजों की स्तुति करें। तुम्हारी संताने श्री राम, श्री कृष्ण सी बनेगीं। तभी सनातन संस्कृति फलेगी-फूलेगी, अधर्म का अंधकार समाप्त होगा। धर्म का सूर्योदय होगा। सब जीवों का जीवन आनंदमई होगा।

आओ चलें सत्य की ओर! आओ चलें सनातन की ओर!

डी. एस. पाल

धर्मवीर सिंह पाल

फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई के नियमित सदस्य, हिन्दी उपन्यास "आतंक के विरुद्ध युद्ध" के लेखक, Touching Star Films दिल्ली में लेखक और गीतकार के रूप में कार्यरत,