तकदीर बदल जाती है
गीत “तकदीर बदल जाती है”
—
आमन्त्रण में बल हो तो ,
तस्वीर बदल जाती है।
पत्थर भी भगवान बनें,
तकदीर बदल जाती है।।
—
अधरों को सीं करके,
जब इक मौन निमन्त्रण मिलता,
नयनों की भाषा से ही,
पता-बूटा खिलता,
बिन गुंजन ही भँवरे की-
तदवीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो ,
तस्वीर बदल जाती है।।
—
सरसों फूली, टेसू फूले,
फूल रहा है, सरस सुमन,
भीगेंगे अनुराग-प्यार में,
आशाओं के तन और मन,
आलिंगन के सागर में-
ताबीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो,
तस्वीर बदल जाती है।।
—
पगचिह्नों का ले अवलम्बन,
आगे बढ़ते जाओ,
मन के दर्पण में खुद अपनी,
धड़कन पढ़ते जाओ,
पल-पल में परछाँई की,
तासीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो,
तस्वीर बदल जाती है।।
—
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)